प्रयागराज, 21 अक्टूबर (हि.स.)। भ्रष्टाचार की रोकथाम सबसे पहले अपने घर में ही बच्चों को संस्कार देकर रोका जा सकता है। हमें अपने कर्तव्यों का पालन निष्ठापूर्वक करना चाहिए। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के जीवन से हम सभी को सीख लेना चाहिए कि किस तरह से वे अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करते थे।
उक्त विचार भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद (ट्रिपल आईटी) में सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अरुण टंडन ने प्रशासनिक भवन के सभागार में व्यक्त किया। ट्रिपल आईटी सीवीसी के दिशा निर्देशों के अनुसार 16 अगस्त से 15 नवम्बर के दौरान “राष्ट्र की समृद्धि के लिए अखंडता की संस्कृति“ विषय पर निवारक सतर्कता पर तीन महीने का अभियान मना रहा है। इसी के अंतर्गत पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने अपना व्याख्यान दिया।
उन्होंने कहा कि सभी शिक्षण संस्थानों में कलाम के आदर्श के बारे में छात्रों को जानकारी देना चाहिए और उनके कार्यों से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सभी को नियम-कानून की अच्छी जानकारी होनी चाहिए, जिससे हम भ्रष्टाचार से बच सकते हैं। उन्होंने बताया कि सभी लोगों को अपने कार्यों को ईमानदारी एवं पारदर्शी तरीके से करना चाहिए।
संस्थान के निदेशक प्रो. मुकुल शरद सुतावणे ने कहा कि यदि हम अपने कर्तव्य के प्रति सतर्कता, जागरूक और पारदर्शी तरीके से कार्य करें तो भ्रष्टाचार अपने आप समाप्त हो जायेगा। उन्होंने कहा कि मनुष्य में लालच की जो भावना है उस पर अपने मन मस्तिष्क पर नियंत्रण रखना होगा। जब तक मनुष्य स्वयं पर नियंत्रण नहीं कर सकता तब तक वह भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं हो सकता है। कहीं न कहीं उसके मन मस्तिष्क में लालच भरा रहेगा और वह उस लालच को पूरा करने में जाने-अनजाने में भ्रष्टाचार कर बैंठेगा।
अंशकालिक मुख्य सतर्कता अधिकारी डॉ. रजत कुमार सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार देश की आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक प्रगति के लिए बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न करती है। उन्होंने बताया कि देश में भ्रष्टाचार तभी समाप्त हो सकता है, जब तक कि जनता में जागरूकता नहीं आयेगी। उन्होंने कहा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सूचना प्रौद्योगिकी एवं ई-गर्वनेन्स का प्रयोग सबसे प्रभावशाली हथियार सिद्ध हुये हैं। इसका प्रमुख लक्ष्य प्रशासनिक स्तर पर पारदर्शित, प्रभावी एवं जिम्मेदारी निर्धारित करना है। उन्होंने कहा प्रशासन में भ्रष्टाचार रहित प्रणाली को सुनिश्चित करना है। सतर्कता आयोग का प्रमुख ध्येय दंडात्मक नहीं बल्कि सुधारात्मक है।