वाराणसी, 09 अक्टूबर (हि.स.)। शारदीय नवरात्र में इस बार महाअष्टमी और महानवमी तिथि को लेकर पंचांगों में भ्रांतियां हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 10 अक्टूबर गुरुवार को दोपहर 12:31 बजे पर होगा। अष्टमी तिथि का समापन 11 अक्टूबर शुक्रवार को दोपहर 12:6 बजे होगा। ऐसे में नवरात्र की महाअष्टमी पूजा को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के ज्योतिष विभाग के सहायक आचार्य डॉ. मधुसूदन मिश्र ने बताया कि नवरात्र पर्व पर तिथियों को लेकर विभिन्न रूपों से लोगों में अनेकों भ्रांतियां उत्पन्न होती हैं। इसके समाधान के लिए इस विश्वविद्यालय से पंचांग के अनुसार भ्रांतियां दूर करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने बताया कि अष्टमी एवं नवमी का व्रत 11 अक्टूबर को होग। निशापूजा 10 तारीख को ही रात में निशीथ काल में व्याप्त अष्टमी में ही होगी। 11 अक्टूबर को नवमी तिथि में हवन किया जाना चाहिए।
कतिपय पंचांगों में नवमी प्रातः 7:30 बजे के बाद है, कतिपय पंचांगों में 11:00 बजे के बाद। ऐसे में 11 अक्टूबर को प्रातः काल 7:30 के बाद अथवा मध्याह्न में हवन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि विजयादशमी पर्व तो निरापद रूप से 12 अक्टूबर को ही है। नवरात्र व्रत का पारण भी इसी दिन सूर्योदय के पश्चात् उचित है। शिव आराधना समिति के डॉ. मृदुल मिश्र ने बताया कि पंचांग के अनुसार, इस साल शारदीय नवरात्र की अष्टमी और नवमी पूजा एक ही दिन 11 अक्टूबर को होगी। 11 अक्टूबर को दोपहर 12:6 बजे से पहले अष्टमी की पूजा और इसके बाद महा नवमी की पूजा कर सकते हैं। इसी दिन कन्या पूजन भी किया जाएगा। महाअष्टमी और महानवमी के दिन कुंवारी 09 कन्याओं को भोजन कराने से भगवती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।