सहरसा, 08 अक्टूबर (हि.स.)। शारीरिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रोशन सिंह धोनी ने नई स्थानांतरण नियमावली का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि यह शिक्षकों के अहितकारी नीतियों में से एक माना जाए।
बिहार सरकार को चाहिए कि ऐसी स्थानांतरण नीति लाये जिससे शिक्षकों को उनके गृह प्रखंड में न रखकर अंतर प्रखंड में स्थानान्तरण करें ना कि अंतर अनुमंडल।सहरसा जिला में ही देखा जाए एक अनुमंडल में 3 प्रखंड है और एक अनुमंडल में 7 प्रखंड है तो क्या 7 प्रखंड के शिक्षकों का समायोजन तीन प्रखंड में किया जा सकता है।बहुत सारे जिले हैं जहां एक ही अनुमंडल है वहां पर अंतर अनुमंडल की कौन सी नीति लाई जाएगी।इसमें कई प्रकार के और भी त्रुटि है।शिक्षकों में खास करके जो पुरुष शिक्षक हैं उन्हें किसी प्रकार का कोई रियायत नहीं दिया गया है। इसका मतलब है जो स्वस्थ है वो दंड भोगने के योग्य है। साथ ही स्थानांतरण नीति में सभी शिक्षकों को एक साथ शामिल करना चाहिए चाहे वह पूर्व के बीपीएससी शिक्षक हो या वर्तमान के बीपीएससी शिक्षक हो या साक्षमता पास शिक्षक हो या स्थानीय निकाय में साक्षमता से अपने आप को दूर रखने वाले शिक्षक हो।
सिर्फ प्रथम चरण में साक्षमता पास शिक्षकों को ही शामिल करने का निर्णय भी त्रुटि पूर्ण है। सरकार सॉफ्टवेयर के नाम पर पिछले 1 साल से स्थानांतरण नीति को टालते आ रही है।जबकि नियोजन नियमावली के तहत ऐच्छिक स्थानांतरण का नियम है। इन सभी त्रुटियों से यह पता चलता है कि सरकार नही चाहती है कि शिक्षकों का स्थानांतरण हो।
इस परिस्थिति में स्थानांतरण
नियमावली पर उच्च न्यायालय में याचिका दायर हो जाए और स्थानांतरण नियमावली लंबे समय के लिए ठंडा बस्ता में चली जाए।इसलिए हम सरकार से मांग करते हैं की सभी कोटि के शिक्षकों के लिए ऐच्छिक स्थानांतरण नियमावली लाया जाए। ताकि शिक्षक अपने पूर्ण क्षमता के साथ अपने-अपने प्रखंड में अपने-अपने घर के नजदीक स्वस्थ मानसिकता के साथ पठन-पाठन के कार्य का निष्पादन कर सके और शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण विकास हो सके।