प्रयागराज, 03 अक्टूबर (हि.स.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने बृहस्पतिवार को सीनेट परिसर स्थित नार्थ हाल में कार्य परिषद की बैठक की। इसमें विभिन्न श्रेणियों में 123 गैर शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्त को स्वीकृति प्रदान की। साथ ही, 64 शिक्षकों की नियुक्त को नियमित किया गया है।
विश्वविद्यालय की जनसम्पर्क अधिकारी प्रो. जया कपूर ने बताया कि विभिन्न श्रेणियों में 123 गैर शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में नियुक्त के परिणाम को कार्य परिषद ने स्वीकृति प्रदान कर दिया है। इसमें एक अनुभाग अधिकारी, तीन आशुलिपिक, आठ प्रयोगशाला सहायक, 19 पुस्तकालय सहायक, 31 प्रयोगशाला परिचर, 12 लाइब्रेरी अटेंडेंट, 49 कनिष्ठ कार्यालय सहायक की भर्ती को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। इसके साथ ही कार्य परिषद ने संस्कृत विभाग में दो प्रोफेसरों, अंग्रेजी, मनोविज्ञान, प्राणीशास्त्र, संस्कृत और सीबीसीएस विभागों में 10 एसोसिएट प्रोफेसरों और अंग्रेजी, मनोविज्ञान, संस्कृत, थिएटर और फिल्म और एनसीईएमपी विभागों में 52 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्त को नियमित करने को भी मंजूरी दी।
इसके साथ ही, सोशल मीडिया गाइडलाइन सम्बंधी रजिस्ट्रार की ओर से 14-15 दिसम्बर, 2020 को सभी संकाय और कर्मचारियों के लिए जारी किए गए आदेश को पुनः जारी करने को मंजूरी दी गई। कुलसचिव की ओर से शिक्षकों और गैर शिक्षण कर्मचारियों के एक आदेश जारी होगा कि बिना कुलपति की अनुमति के कोई भी इनपुट प्रेस को नहीं भेजा जाएगा। सभी जानकारी विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क अधिकारी के माध्यम से प्रेषित की जाएगी। इस सम्बंध में देवी देवताओं के खिलाफ अपमानजनक बयान देने के मामले में डॉ. विक्रम हरिजन को चेतावनी जारी की जाएगी।
पीआरओ ने बताया कि कार्य परिषद ने यह भी मंजूरी दी कि यदि कोई कर्मचारी भ्रष्टाचार, यौन उत्पीड़न, ड्यूटी पर उपस्थित न होने या विश्वविद्यालय की छवि के लिए हानिकारक किसी अन्य कार्य में लिप्त पाया जाता है तो विश्वविद्यालय के नियम संहिता के अनुसार उस कर्मचारी को सेवानिवृत्ति पर ग्रेच्युटी का लाभ नहीं दिया जाएगा। वहीं, कार्य परिषद ने शिक्षकों की वरिष्ठता सूची से जुड़े मामलों को देखने के लिए कुलपति की अध्यक्षता में विज्ञान संकाय के डीन प्रो. बेचन शर्मा और डीन-रिसर्च एंड डेपलपमेंट व निदेशक आईआईडीए प्रो. एस.आई. रिजवी के साथ एक तीन सदस्यीय समिति गठित करने को मंजूरी दी है।
एक फैसले में कार्य परिषद ने अर्थशास्त्र विभाग के तीन वरिष्ठ प्रोफेसरों के खिलाफ झूठी शिकायत के सम्बंध में उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखने वाले सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के मामले में डॉ. दीपशिखा सोनकर को दिए गए कारण बताओ नोटिस और उनकी इस नोटिस के उत्तर की जांच में प्रो. भारती दास को जांच अधिकारी के रूप में नियुक्त करने को मंजूरी दे दी। एक अन्य मामले में डॉ. दीपशिखा सोनकर द्वारा 90 दिनों से अधिक समय तक ड्यूटी से अकारण अनुपस्थिति मामले में, परिषद ने प्रस्ताव पारित किया कि नियमों के अनुसार दंडात्मक कार्रवाई के साथ आगे बढ़ने से पहले रजिस्ट्रार की ओर से डॉ. सोनकर को दूसरा कारण बताओ जारी किया जाए। कुलसचिव प्रो. आशीष खरे की ओर से अध्यक्ष और उपस्थित सदस्यों को धन्यवाद देने के साथ बैठक का समापन किया गया।