लखनऊ, 01 अक्टूबर(हि.स.)। लखनऊ के प्राचीन मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरी के आदेश पर मंदिर के आसपास पुष्प, प्रसाद की दुकान लगाने वाले दुकानदारों में आक्रोश बढ़ा है। मंदिर में बाहरी प्रसाद पर प्रतिबंध लगाने के बाद दुकानदारों के प्रसाद की बिक्री बंद हो गयी है। इससे दुकानदारों को आर्थिक नुकसान पहुंच रहा है।
मनकामेश्वर मंदिर मार्ग निवासी गीता देवी ने कहा कि उनके घर में वर्षो से लड्डू बनाने का काम होता आया है। लड्डू की बिक्री से ही उनका घर चलता है। बाजार में भेजे गये लड्डू के बाद अभी आर्डर नहीं मिल रहा है। दूसरे बड़े मंदिरों के बाहर पहले से पांव जमाये लोगों के मध्य में जाकर अपना लड्डू बेचना भी कठिन है। ऐसे में उनके घर का चूल्हा कैसे जलेगा।
दुकानदार लाल जी ने बताया कि प्रसाद चढ़ाने पर रोक लगने के बाद मंदिर आने वाले भक्तों को स्वयं से मना करना पड़ता है। प्रसाद के बिना ही पुष्प माला देते है। प्रसाद की बिक्री बंद होने पर माला के मूल्य में वृद्धि करने पर सभी दुकानदार विचार बना रहे हैं। जो लम्बे समय तक प्रसाद चढ़ाने पर रोक रहेगी तो इससे दुकानदारों को माला पुष्प का मूल्य प्रति दर से बढ़ाना ही होगा।
जानकारी हो कि महंत देव्या गिरी ने बीते दिनों मनकामेश्वर मंदिर में एक नोटिस चस्पा करा के बाहरी प्रसाद पर रोक लगा दी थी। महंत देव्या गिरी का मानना है कि बाहरी प्रसाद में मिलावट के कारण मंदिर का वातावरण अशुद्ध होगा। उन्होंने हस्त निर्मित प्रसाद को बढ़ावा देने का आग्रह भी किया है। बावजूद इसके मंदिर के आसपास के दुकानदारों पर प्रसाद बिक्री से आर्थिक संकट मंडरा रहा है।