वाराणसी, 21 सितम्बर (हि.स.)। सनातन कवि महामहोपाध्याय आचार्य रेवाप्रसाद द्विवेदी के जन्म दिवस पर शनिवार को उन्हें याद किया गया। इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, क्षेत्रीय केन्द्र वाराणसी एवं कालिदास संस्थान, वाराणसी के संयुक्त पहल पर केन्द्र के सभागार में आयोजित स्मृति व्याख्यान माला में आचार्य के जीवन पर आधारित पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।
वक्ता केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के भोपाल परिसर के निदेशक प्रो. रमाकान्त पाण्डेय ने ‘‘सनातन कवि आचार्य रेवाप्रसाद द्विवेदी का स्वातन्त्र्य दर्शन’’ विषयक विशिष्ट व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत काव्य शास्त्र के क्षेत्र में आचार्य रेवाप्रसाद द्विवेदी के अभिनव सिद्धान्तों को उनके रचित अनेक ग्रन्थों से समझा जा सकता है। उनमें से स्वातन्त्र्यसम्भवम् अन्यतम है। इसमें देश के अनेक प्रधानमन्त्री जैसे इन्दिरा गाँधी, पी०बी०नरसिम्हा राव तथा भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के जीवन दर्शन का उल्लेख मिलता है। यह ग्रन्थ इतिहास और कवित्व के सामरस्य का अनुपम उदाहरण है।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के पूर्व संकाय प्रमुख प्रो. विन्ध्येश्वरी प्रसाद मिश्र ने भी आचार्य के जीवन दर्शन और कृतित्व को बताया। अध्यक्षता करते हुए प्रो. मिश्र ने कहा कि आचार्य द्विवेदी ने अपनी रचना में पृथक—पृथक उपमानों का प्रयोग किया है। पारिभाषिक शब्दों के माध्यम से अपनी बात कहने में सनातन कवि की कोई सानी नहीं है। कार्यक्रम में आचार्य द्विवेदी की पौत्री कुमारी अनुराधा द्विवेदी ने मंगलाचारण प्रस्तुत किया। केन्द्र के निदेशक डॉ० अभिजित् दीक्षित ने स्वागत भाषण दिया। व्याख्यान माला में प्रो० जयशंकर लाल त्रिपाठी, प्रोफेसर ब्रजकिशोर स्वाईं, प्रो० शिवराम शर्मा, डॉ० पवन कुमार पाण्डेय, सदाशिव कुमार द्विवेदी, प्रो० विजय शंकर शुक्ल, प्रो० ब्रजभूषण ओझा, प्रो० शान्तिस्वरूप सिन्हा, डॉ० शरदिन्दु कुमार तिवारी, डॉ० सिद्धिदात्री भारद्वाज, प्रो० हरिनारायण तिवारी आदि की उपस्थिति रही। संचालन डॉ रजनीकान्त त्रिपाठी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ त्रिलोचन प्रधान ने किया।