प्रयागराज, 21 सितम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने घर में जबरन घुसकर नाबालिग के साथ रेप के आरोपित की दूसरी जमानत अर्जी खारिज कर दी है। कोर्ट ने जमानत पर रिहा करने से इनकार करते हुए ट्रायल कोर्ट से कहा कि यदि कोई विधिक बाधा न हो तो यथाशीघ्र ट्रायल पूरा किया जाए।
यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने आरोपित अनिल कुमार की द्वितीय जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है। इस मामले में चार साल से जेल में बंद अनिल की पहली जमानत अर्जी एक सितम्बर 2021 को निरस्त कर दी गई थी। याची का कहना था कि वह चार साल से अधिक समय से जेल में बंद है। संविधान के अनुच्छेद 21 के जीवन के मूल अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। कानपुर देहात के शिवली थाने में दर्ज केस में शिकायतकर्ता व पीड़िता के बयानों ने अभियोजन कहानी का समर्थन नहीं किया है। ऐसे में उसे सजा मिलने की संभावना नहीं है। इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए। वह ट्रायल में सहयोग करेगा और जमानत का दुरुपयोग नहीं करेगा।
सरकारी वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि पीड़िता के मुख्य बयान व जिरह में समानता है। उसने आरोपित का नाम लिया है और घर में घुसकर रेप का बयान दर्ज कराया है। आरोपित के अधिवक्ता ने जिरह दर्ज कराने में जानबूझकर उसी दिन बयान लेने की बजाय दो माह नौ दिन की देरी की ताकि वह पीड़िता को प्रभावित कर सके। मुख्य बयान व जिरह में दो माह का गैप होने से अभियोजन पक्ष का समर्थन नहीं दिखा। लेकिन पीड़िता के बयान व जिरह में समानता है। इसलिए आरोपित जमानत पाने का हकदार नहीं है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट से निस्तारित विनोद कुमार व हुसैन केस के हवाले से कहा कि ट्रायल यथाशीघ्र पूरा हो।