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आईजी शिवदीप लांडे ने अररिया में बन रहे नए पुलिस लाइन का किया निरीक्षण

अररिया 12 सितंबर(हि.स.)। पूर्णिया रेंज के आईजी शिवदीप लांडे योगदान के बाद पहली बार गुरुवार को अररिया पहुंचे।समाहरणालय परिसर में आईजी को जवानों के द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया,जिसके बाद एसपी अमित रंजन समेत पुलिस अधिकारियों ने आईजी को बुके देकर स्वागत किया।एसपी कार्यालय में आईजी शिवदीप लांडे ने एसपी और जिले के तीनों डीएसपी के साथ अपराध और अपराध को प्रकृति के साथ विधि व्यवस्था को लेकर मीटिंग की।जिसके बाद हरियाबारा के पास 53 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले पुलिस लाइन का निरीक्षण किया।अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित बन रहे पुलिस लाइन में निर्माणाधीन भवन का जायजा लिया और पुलिस अधिकारियों को कई आवश्यक दिशा निर्देश दिए।

मौके पर बातचीत करते हुए आईजी शिवदीप लांडे ने कहा कि यह एसपी अमित रंजन के लिए पुलिस कैरियर का सबसे बड़ा योगदान होने वाला है।उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी सोसाइटी के लिए तो काम करते हैं,लेकिन अपने परिवार के लिए सोचने वाला ऑफिसर ही मानवीय मूल्यों पर परफेक्ट होता है।उन्होंने एसपी को बाउंड्री के साथ कंस्ट्रक्शन शुरू करवाने को लेकर बधाई दिया।उन्होंने अपने लिए इसे हैप्पी मोमेंट करार देते हुए अररिया विजिट का सबसे अच्छा मोमेंट बताया।एक दशक पहले एसपी के तौर पर अररिया में पदस्थापना के समय पुलिस लाइन निर्माण की कवायद के बाद अन्यत्र जमीन चिन्हित कर दिए जाने को भी उन्होंने याद किया।

इससे पहले आईजी शिवदीप लांडे ने पुलिस अधिकारियों के साथ मीटिंग करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अररिया में जब वे बारह तेरह साल पहले एसपी के तौर पर थे तो उस समय सामाजिक आर्थिक अपराध प्रमुख था,जिसको लेकर दर्जनों मामले दर्ज किए गए थे।साथ ही उन मामलों में वरीय अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक की संलिप्तता थी।मामले में दर्जनों लोगों को जेल भेजा गया था और आज भी सीमांचल के इलाके में यह मामला है।पूर्णिया रेंज में आर्थिक अपराध की जड़ों को खत्म करने को भी अपनी प्राथमिकता में रखने की बात आईजी ने कही।साथ ही उन्होंने कहा कि सबसे अहम मादक पदार्थों के सेवन के पीछे युवा जा रहे हैं और नशे के आगोश में बड़े से बड़े यहां तक कि हत्या तक के मामलों को अंजाम दे रहे हैं।ऐसे में नशे के सौदागरों खासकर स्मैक के सौदागरों को चिन्हित कर उनके बैकवर्ड लिंकेज को खंगालते हुए पूरी तरह से रोक और सिंडीकेट को ध्वस्त करना बड़ी चुनौती है।उन्होंने महाराष्ट्र के मुंबई में एंटी नारकोटिक्स सेल के इंचार्ज के तौर पर किए गए कार्य को लेकर बताया कि मुंबई में ड्रग्स का अलग कारोबार और सिंडीकेट काम कर रहे थे,जो सिंथेटिक ड्रग्स तैयार कर बिक्री करने का काम करते थे।जबकि इस इलाके में अभी स्मैक का प्रचलन है और डर है कि यदि इस पर रोक नहीं लगाया गया तो युवा पीढ़ी कही सिंथेटिक ड्रग्स की ओर उन्मुख न हो जाय।इसलिए ड्रग्स माफियाओं के तार को पूरी तरह ध्वस्त करना चुनौती है।