चम्पावत(लोहाघाट), 11 सितंबर (हि.स.)। लोहाघाट में आयोजित झूमा महोत्सव का समापन हो गया है। बुधवार को पाटन पाटनी और राइकोट महर गांवों के मंदिरों में विशेष पूजा की गई और उसके बाद मां झूमाधुरी देवी का डोला झूमाधुरी मंदिर पहुंचा। दो दिवसीय झूमाधुरी मेला शांति पूर्वक संपन्न हो गया।
मां के जयकारों के साथ ग्राम सभा पाटन पाटनी व राईकोट गांव से मंगलवार को मां झूमाधुरी देवी की रथ यात्रा निकली। यह यात्रा सुहावने मौसम के बीच रस्सों व कंधों के सहारे दुर्गम पहाड़ियों की चढ़ाई पार कर श्रद्धा व विश्वास के साथ उंची चोटी पर स्थित मां झूमाधुरी के मंदिर परिसर में पहुंची। पूरा क्षेत्र भक्ति रस की धारा में डूब गया।
दोपहर बाद ग्राम सभा पाटन गांव के पालदेवती मंदिर, राईकोट महर गांव से निकली देवी रथ को मनमोहक तरीके से सजा कर गगनभेदी जयकारे के साथ लोगों ने अति दुर्गम खड़े रास्तों को पार कर रस्सों के सहारे ऊंची चोटी पर स्थित मां झूमाधुरी मंदिर पहुंचाया।
मां की भक्ति में डूबकर हर आयु वर्ग के श्रद्धालु रस्सों को खींचने व मां के डोले में कंधा लगाने में जुटे हुए थे। रथों के निकलने वाले रास्तों में जगह-जगह एकत्रित महिलाओं ने अक्षत पुष्प से रथों की पूजा अर्चना की।
पाटन गांव के रथ में मां भगवती के अवतार के रूप में उमेश चंद्र पाटनी व धन सिंह पाटनी तथा राईकोट महर से निकले रथ में मां कालिका के अवतार के रूप में राधिका देवी विराजमान थीं। रथ में सवार देव डांगरों ने चंवर गाय की पूछ व अक्षत से भक्तों को आशीर्वाद दिया। रथ के साथ साथ चल रहे देव डांगरों ने भक्तों के कष्टों को दूर किया।
वहीं महिलाओं ने देव आधारित मांगलिक गीतों का गायन किया। युवाओं ने मां के जयकारे लगाए। दो दिवसीय झूमाधुरी मेला शांति पूर्व संपन्न हो गया। मेला कमेटी अध्यक्ष मोहन पाटनी, प्रकाश सिंह बोहरा, सुभाष विश्वकर्मा, शशांक पांडेय, कमल कुलेठा, हेम पाटनी, गंगा सिंह पाटनी आदि मौजूद रहे।