सहरसा, 03 सितम्बर (हि.स.)। कोशी क्षेत्र के चर्चित ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा जी ने बताया की मिथिला विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार 06 सितम्बर शुक्रवार को भाद्र शुक्ल पक्ष तृतीया 12 बजकर 18 मिनट दोपहर तक है।उससे पहले ही पूजा होगी।लेकिन व्रती महिलायें 06 तारीख शुक्रवार के प्रातः काल से 07 तारीख शनिवार के प्रातः काल तक व्रत में रहेंगी।
हरितालिका तीज के दिन सुहागिन औरतें अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव के साथ माँ पार्वती की पूजा करती है।
हरितालिका तीज की व्रत कथा :-
मिथिला का अति विशिष्ट पर्व भाद्र शुक्ल पक्ष चतुर्थी चंद्र पूजा के लिए 06 तारीख शुक्रवार को संध्या बेला प्रदोष काल मे पूजा करना अति उत्तम माना जायेगा। पंडित तरुण झा जी के अनुसार जैसे कि सूर्य देव की आराधना करने के लिए छठ पर्व मनाए जाते हैं तो इसी तरह चंद्र देव की आराधना करने के लिए चौरचन का त्योहार मनाया जाता है।चौरचन में चन्द्रमा की पूजा संध्या काल में प्रदोष काल मे करना शुभ होगा।इस दिन सुबह से लेकर शाम तक व्रत रखते हैं।शाम में पीठार पीसकर अरिपण तैयार की जाती है।
इस त्योहार पर मीठे पकवान,खीर,मिठाई और फल आदि रखे जाते हैं।इस त्योहार में छाछी के दही का बहुत ज्यादा महत्व है।रोहिणी नक्षत्र सहित चतुर्थी में चंद्रमा की पूजा की जाती है।इसके बाद पकवानों से भरी डाली और छाछी वाले दही के बर्तन चंद्र देव को भोग लगाये जाते हैं।
डाली को उठाकर ये मंत्र पढ़ना है :-
सिंह प्रसेन मवधीत्सिंहो जाम्बवताहत :
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येषस्यमन्तक:
दही को उठा ये मंत्र पढना है :-
दिव्यशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम्
नमामि शशिनं भक्त्या शंभोर्मुकुट भूषणम्