देश में त्योहारी सीजन की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में दशहरा, दिवाली-छठ त्योहार पर घर जाने के लिए हर कोई कन्फर्म ट्रेन टिकट पाने की जद्दोजहद में लगा हुआ है। नियमित ट्रेनों के अलावा जो स्पेशल ट्रेनें शुरू हुई हैं, उनमें भी लंबी वेटिंग लिस्ट है। ऐसे में देश के यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ट्रेनों में भारी वेटिंग के बावजूद देशभर में फैले एजेंट सॉफ्टवेयर की मदद से आम यात्रियों के लिए रेलवे टिकट बुक कर रहे हैं और फिर उन्हें ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं।
आम लोगों को ट्रेन टिकट बुक करने में जहां चार से पांच मिनट लगते हैं, वहीं ये बुकिंग एजेंट सॉफ्टवेयर की मदद से महज 30 से 40 सेकंड में ट्रेन टिकट बुक कर देते हैं। एजेंट न तो यात्री की डिटेल भरने में समय लगाते हैं, न ही ट्रेन खोजने में और न ही कैप्चा भरने में। खास सॉफ्टवेयर की मदद से एजेंट मिनटों में कई टिकट बुक कर देते हैं। हाल ही में आरपीएफ ने ऐसे कई गिरोह पकड़े हैं जो इस तरह के टिकट बुक करते हैं।
आरपीएफ का कहना है कि त्योहारों और छुट्टियों के दिनों में रेलवे टिकट की ठगी करने वाले गिरोहों की संख्या बढ़ जाती है। समय-समय पर आरपीएफ गलत तरीकों से टिकट बुक करने वाले ऐसे लोगों के खिलाफ अभियान चलाकर उन्हें पकड़ती है। इस साल अब तक आरपीएफ ने राजधानी से 147 एजेंटों को पकड़ा है। इस दौरान पता चला कि ये एजेंट कन्फर्म टिकट बुक करने के लिए रेड मिर्ची और तत्काल अड्डा आदि जैसे खास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये एजेंट टेलीग्राम एप के जरिए 20 हजार रुपये में ऐसा सॉफ्टवेयर खरीदते हैं। यह 15 से 20 दिन तक ही काम करता है। इसके बाद इन लोगों को नया सॉफ्टवेयर खरीदना पड़ता है।
ऐसे बन रहे हैं रेलवे टिकट
रेलवे IRCTC की वेबसाइट या ऐप के जरिए एक आम आदमी अपनी पर्सनल आईडी से एक महीने में अधिकतम 12 टिकट ही बुक कर सकता है. लेकिन कई बार ज्यादा टिकट बुक करने के लिए ये एजेंट फर्जी नामों से 50 से 60 आईडी बना लेते हैं. IRCTC एक एजेंट को टिकट बुक करने के लिए सिर्फ एक ही आईडी देता है. लेकिन ये एजेंट फर्जी आईडी बनाकर टिकट बुक कर लेते हैं. क्योंकि इससे वो IRCTC को फीस देने से बच जाते हैं. ये एजेंट टेलीग्राम ऐप से खरीदे गए सॉफ्टवेयर में यात्री की जानकारी पहले ही भर देते हैं. बुकिंग खुलते ही ये लोग आसानी से चंद सेकेंड में टिकट बुक कर लेते हैं. जबकि आम लोग जानकारी भरने, कैप्चा लिखने और पेमेंट करने में परेशान हो जाते हैं. इस बीच ये एजेंट सीधे पेमेंट करके टिकट बुक कर लेते हैं.
वे 500 से 2000 रुपये तक लेते हैं
आरपीएफ का कहना है कि ये एजेंट यात्रियों से प्रत्येक टिकट के लिए 500 से 2000 रुपये तक अतिरिक्त शुल्क लेते हैं। ये एजेंट तत्काल टिकट बुक करने के लिए ऐसे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, रेलवे इन एजेंटों को पकड़ने के लिए शक्तिशाली सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करता है। इसमें किसी भी ट्रेन की बुकिंग का डेटा लेकर उसकी जांच की जाती है। आरपीएफ ने जनवरी में ऐसे 14, फरवरी में 11, मार्च में 19, अप्रैल में 14, मई में 41, जून में 15 और जुलाई में 21 एजेंट पकड़े।