गोरखपुर, 27 अगस्त (हि.स.)। स्थापना के सिर्फ तीन साल में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय पूर्वी उत्तर प्रदेश में विशिष्ट और रोजगारपरक पाठ्यक्रमों का केंद्र बन गया है। इस अल्प काल मे ही विश्वविद्यालय के खाते में उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त है जिसमें सबसे अद्यतन उपलब्धि है एमबीबीएस कोर्स की मान्यता। बीएएमएस की पढ़ाई तो स्थापना के पहले साल से हो रही है, इसी सत्र से यहां नीट काउंसिलिंग के बाद एमबीबीएस की प्रवेश प्रक्रिया पूरी कर पढ़ाई शुरू कर दी जाएगी। रोजगारपरक कई नए पाठ्यक्रमों का संचालन करने के साथ ही विश्वविद्यालय के पास शोध-अनुसंधान के लिए कई प्रतिष्ठित संस्थाओं के साथ एमओयू की भी विस्तृत श्रृंखला है। इस विश्वविद्यालय का तीसरा स्थापना दिवस समारोह बुधवार को मनाया जाएगा जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी)के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डीपी सिंह उपस्थित रहेंगे।
28 अगस्त 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों लोकार्पित महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय तीन वर्ष में ही रोजगारपरक शिक्षा के विशिष्ट व प्रमुख केंद्र के रूप में विख्यात हो चुका है। यहां भारतीय ज्ञान मूल्यों का संरक्षण व संवर्धन, वर्तमान और भावी समय को ध्यान में रखकर अनुसंधानिक तरीके से किया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में यहां पाठ्यक्रम ऐसे हैं जो समाज के लिए लाभकारी, विद्यार्थी के लिए सहज रोजगारदायी हैं। इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति (गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ की मंशा 2032 तक गोरखपुर को ‘नॉलेज सिटी’ के रूप में ख्यातिलब्ध कराने की है। यहां बता दें कि 10 दिसम्बर 2018 को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह में आए तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने परिषद के शताब्दी वर्ष 2032 तक गोरखपुर को नॉलेज सिटी बनाने का आह्वान किया था।
गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंतद्वय के विचारों का मूर्त रूप है विश्वविद्यालय
इस विश्वविद्यालय की नींव में युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज व राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज के विचार हैं, जिनका मानना था कि दासता से मुक्ति, स्वावलंबन व सामाजिक विकास के लिए शिक्षा ही सबसे सशक्त माध्यम है। वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर एवं कुलाधिपति योगी आदित्यनाथ इसी वैचारिक परंपरा के संवाहक हैं। उनके मार्गदर्शन में इस विश्वविद्यालय का लक्ष्य भारतीय ज्ञान मनीषा के आलोक में मूल्य संवर्धित, रोजगारपरक उस शिक्षा को बढ़ावा देना है जो समग्र रूप में सामाजिक व राष्ट्रीय हितों का पोषण कर सके। इसी लक्ष्य की दिशा में कदम बढ़ाते हुए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में बीएएमएस की पढ़ाई का सफलतापूर्वक संचालन हो रहा है। इसी सत्र से यहां एमबीबीएस की कक्षाएं भी प्रारंभ होने जा रही हैं। अकेले गुरु श्री गोरक्षनाथ कॉलेज ऑफ नर्सिंग में दर्जनभर रोजगारदायी पाठ्यक्रम पूर्ण क्षमता से संचालित हैं। विश्वविद्यालय में मेडिकल साइंस, नर्सिंग, पैरामेडिकल, एग्रीकल्चर, एलॉयड हेल्थ साइंसेज और फार्मेसी से संबंधित डिप्लोमा से लेकर मास्टर तक के दो दर्जन पाठ्यक्रम संचालित हैं। यहां के सभी पाठ्यक्रम रोजगारपरक हैं और उनकी बहुत मांग है।
शिक्षा, चिकिसा, कृषि अनुसंधान, रोजगार व ग्राम्य विकास के क्षेत्र में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय ने अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, लुम्बिनी बौद्ध विश्वविद्यालय नेपाल, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय, एम्स गोरखपुर, केजीएमयू लखनऊ, आरएमआरसी गोरखपुर, महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान अहमदाबाद, वैद्यनाथ आयुर्वेद, इंडो-यूरोपियन चैंबर ऑफ स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ, राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो, भारतीय बीज विज्ञान संस्थान, जुबिलेंट एग्रीकल्चर रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी, लॉजिस्टिक सेक्टर स्किल काउंसिल आदि के साथ एमओयू किया है। इन एमओयू के माध्यम से अलग अलग क्षेत्रों में विश्व स्तरीय शोध अनुसंधान के साथ ही स्टार्टअप को बढ़ावा मिलेगा।