अप्रैल-जून, 2024 तिमाही में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह लगभग 26.4 प्रतिशत बढ़कर 22.4 बिलियन डॉलर हो गया। एफडीआई में यह बढ़ोतरी पिछली पांच तिमाहियों में सबसे ज्यादा है। जहां अन्य देशों में निवेश के प्रवाह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, वहीं भारत में भी विदेशी निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत में एफडीआई प्रवाह बढ़ा है, हालांकि कमजोर वैश्विक धारणा के कारण पिछले दो वित्तीय वर्षों में एफडीआई में गिरावट आई है। हाल ही में जारी आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, जून में एफडीआई प्रवाह 37.6 फीसदी बढ़ा, जो मई में दर्ज 49 फीसदी बढ़ोतरी से कम है।
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, कुल एफडीआई प्रवाह का 80 प्रतिशत विनिर्माण, वित्तीय सेवाओं, संचार सेवाओं, कंप्यूटर सेवाओं और बिजली सहित ऊर्जा क्षेत्र में रहा है। आए कुल एफडीआई में सिंगापुर, मॉरीशस, नीदरलैंड, अमेरिका और बेल्जियम जैसे देशों का बड़ा योगदान है।
आंकड़ों के विस्तृत अध्ययन के आधार पर पता चला है कि एफडीआई में बढ़ोतरी के लिए देश में इक्विटी निवेश काफी हद तक जिम्मेदार है। इसी तिमाही के दौरान इक्विटी में निवेश 46 प्रतिशत बढ़कर 16.5 अरब डॉलर हो गया। इस तरह भारत में आने वाले एफडीआई का प्रवाह बढ़ने से भारत को उन निवेशकों को आकर्षित करने में फायदा हो रहा है जो अपना जोखिम कम करने के लिए चीन के बजाय दूसरे देशों में निवेश करना चाहते हैं। 2024 के पहले छह महीनों में, दुनिया भर में एफडीआई प्रवाह कुल $635 बिलियन था। यह 2003 के बाद से किसी भी वर्ष के पहले छह महीनों में सबसे अधिक एफडीआई प्रवाह है। पहले छह महीनों में नवीकरणीय, अर्धचालक और संचार में निवेश का 50 प्रतिशत हिस्सा था।