प्रयागराज, 20 अगस्त (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला विकास अधिकारी गाजियाबाद को 22 अगस्त को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कांट-छांट कर शासनादेश पेश करना प्रथमदृष्टया कोर्ट की अवमानना करना और लगातार कोर्ट से कपट करना है।
कोर्ट ने रजिस्ट्रार (अनुपालन) को निर्देश दिया है कि वह इस आदेश को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गाजियाबाद के माध्यम से जिला विकास अधिकारी को तुरंत सूचित करें। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने अविनाश चंद गुप्ता व अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
याचीगण ग्रामीण विकास विभाग के एकाउंट अनुभाग, गाजियाबाद में कार्यरत थे। उन्होंने वेतनमान में संशोधन व सेवानिवृत्त लाभों के बकाया भुगतान की मांग करते हुए याचिका दाखिल की है। प्रज्ञा श्रीवास्तव, जिला विकास अधिकारी गाजियाबाद ने कोर्ट में 11 अगस्त 1983 के शासनादेश की एक प्रति दाखिल की। यह प्रति लेखा संवर्ग में पदोन्नति की पात्रता से सम्बंधित एक अनुसूची है। यह जानबूझकर कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश लगती है। जो याचियों को लाभ से वंचित करने के लिए की गई है। उसमें एकाउंट क्लर्क से सहायक एकाउंटेंट पद पर पदोन्नति की अर्हता का उल्लेख है।