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बैंगनी आलू: आ गया बैंगनी आलू, वैज्ञानिकों ने खोजी नई किस्म, 90 दिन में तैयार होगी फसल, पंजाब में होगी खेती

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आमतौर पर डॉक्टर आलू से दूर रहने की सलाह देते हैं। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग स्वचालित रूप से आलू खाने से बचते हैं। लेकिन अब बाजार में एक ऐसा आलू आने वाला है, जिसे डॉक्टर भी आपको खाने के लिए कहेंगे.

इस आलू की खोज केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने की है. एक दिन पहले प्रधानमंत्री द्वारा पूसा में लॉन्च की गई 109 किस्मों में से यह भी एक है।

कुफरी माणिक आलू केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला, मोदीपुरम, उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय केंद्र द्वारा खोजी गई आलू की एक नई किस्म है। इस प्रकार की खोज में लगभग 9 वर्ष लग गए। इसकी शुरुआत साल 2015 से की गई थी. नई किस्म के लॉन्च के मौके पर प्रधानमंत्री को यह आलू दिखाया गया और इसकी विशेषताएं भी बताई गईं. प्रधानमंत्री ने भी इसकी सराहना की.

ये सुविधाएं  

इस कुफरी जमुनिया आलू की खोज करने वाले केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एस.के. लूथरा ने कहा, कुफरी जमुनिया एक प्रकार का आलू है जो एंटी-ऑक्सीडेंट और एंथोसायनिन से भरपूर होता है। इसके 100 ग्राम गूदे में विटामिन सी (52 मिलीग्राम), एंथोसायनिन (32 मिलीग्राम), कैरोटीनॉयड जैसे उच्च एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं।

यह गहरे बैंगनी रंग के लंबे अंडाकार आकार (प्रति पौधा 10-12 कंद) वाली 90-100 दिन में पकने वाली किस्म है। इसकी उपज 32-35 टन प्रति हेक्टेयर है और इसे आम आलू की तुलना में लंबे समय तक संग्रहीत किया जा सकता है। इसका स्वाद सामान्य आलू से बेहतर होता है.