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फाइलेरिया से बचाव के लिए 46 लाख लोगों को दवा खिलायेगी टीम

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गोरखपुर, 10 अगस्त (हि.स.)। शहर के महापौर डॉ मंगलेश श्रीवास्तव ने जिला अस्पताल परिसर में बने बूथ पर फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कर शनिवार को सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान का शुभारंभ किया। यह अभियान दो सितम्बर तक चलेगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने महापौर को दवा का सेवन कराया। उन्होंने बताया कि सोमवार से सप्ताह में चार दिन बचाव की दवा खिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम घर घर जाएंगी। विभाग की टीम के सामने ही दवा का सेवन करना है। इस मौके पर सभी लोगों ने फाइलेरिया उन्मूलन की शपथ ली और जनजागरूकता वाहन को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया गया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि जिले में 4133 टीम द्वारा करीब 46 लाख लोगों को घर घर जाकर दवा खिलाई जाएगी। प्रत्येक सोमवार, मंगलवार, गुरूवार और शुक्रवार को टीम घर घर जाएंगी। टीम में आशा कार्यकर्ता के साथ एक पुरुष सदस्य होंगे। टीम के लोग दवा खिलाने के साथ साथ नये फाइलेरिया रोगियों को भी ढूंढेंगे। इस अभियान में स्वयंसेवी संस्था डब्ल्यूएचओ, पाथ, पीसीआई, सीफार और फाइलेरिया रोगी नेटवर्क भी सहयोग प्रदान कर रहे हैं।

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया जिसे आमतौर पर हाथीपांव भी कहते हैं, एक लाइलाज बीमारी है। इस बीमारी से खुद को, परिवार को और समाज को बचाने के लिए दवा का सेवन बेहद जरूरी है। लगातार पांच साल तक साल में एक बार अगर फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन किया जाए तो इस बीमारी से पूरे समाज को मुक्ति मिल सकती है। वर्ष में एक बार दवा खा लेने के बाद वर्ष भर के अव्यस्क कृमि मर जाते हैं और लगातार पांच साल तक दवा खाई जाती है तो हर साल इन अव्यस्क कृमि का सफाया तो होता ही है, साथ में वयस्क कृमि भी समाप्त हो जाता है। इस तरह से दवा का सेवन करने वाला व्यक्ति फाइलेरिया से बच जाता है। फाइलेरिया के प्रमुख लक्षणों में हाथ, पैर, स्तन व अंडकोष में सूजन हैं। यह लक्षण संक्रमित मच्छर के काटने के पांच से पंद्रह साल बाद प्रकट होते हैं।

उन्हाेंने बताया कि कुछ लोग इस मिथक के कारण दवा का सेवन नहीं करते हैं कि दवा खुली हुई है और इसकी सुरक्षा में संशय है। ऐसे लोगों को यह संदेश दिया जा रहा है कि दवा विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार प्रमाणित है। इसे तभी खोला जाता है जब लाभार्थी को सेवन करवाना होता है। दवा का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता है। जिन लोगों के भीतर पहले से माइक्रोफाइलेरी मौजूद होते हैं उन्हें दवा के सेवन के बाद मतली, चक्कर आना, सिरदर्द जैसे लक्षण आते हैं जो कुछ समय बाद स्वतः समाप्त हो जाते हैं।