कानपुर, 09 अगस्त (हि.स.)। निरंकुश ब्रिटिश सत्ता को चेतावनी देने एवं धन एकत्र करने के निमित्त स्वतंत्रता सेनानियों ने पहली बड़ी कार्यवाही काकोरी में की। सरकारी खजाना हासिल करने की यह घटना काकोरी घटना के नाम से प्रसिद्ध है। इस घटना ने ब्रिटिश सरकार की नींव हिला दी। प्रतिक्रियास्वरूप ब्रिटिश सरकार ने व्यापक स्तर पर गिरफ्तारियां की तथा प्रारम्भिक जांच के उपरान्त क्रान्तिकारियों पर मुकदमा चलाया गया। अंग्रेजी सरकार काकोरी के क्रांतिकारियों से इतना खौफ खा चुकी थी कि उसने क्रांतिकारियों को प्रदेश के अलग-अलग जेलों में रखा। यह बातें शुक्रवार को कानपुर पहुंचे उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नन्दी ने कही।
काकोरी ट्रेन घटना की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर काकोरी ट्रेन एक्शन शताब्दी समारोह का जनपद स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन नानाराव पेशवा स्मारक पार्क बिठूर में किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास, निर्यात प्रोत्साहन, एन0आर0आई0 एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता ‘नन्दी’ द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया। मंत्री ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन से सम्बन्धित अनेक ऐतिहासिक घटनाओं में काकोरी की घटना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। आजादी के दीवाने क्रान्तिकारी नवयुवक भारतमाता को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए कटिबद्ध थे। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए शहीद चन्द्रशेखर आजाद, शहीद पं० रामप्रसाद बिस्मिल, शहीद ठाकुर रोशन सिंह, शहीद अश्फाक़ उल्ला खां, शहीद राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी आदि क्रान्तिकारी युवकों ने एक अखिल भारतीय सम्मेलन के बाद अक्टूबर, 1924 में हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की। इसका उद्देश्य सशस्त्र क्रान्ति के माध्यम से औपनिवेशिक सत्ता को उखाड़ फेंकना और एक संघीय गणतंत्र संयुक्त राज्य भारत की स्थापना करना था।
इसके लिए धन की आवश्यकता थी और क्रान्तिकारियों ने अंग्रेजी सरकार के खजाने पर कब्जा करने का निश्चय किया। 09 अगस्त 1925 को शाहजहांपुर से लखनऊ आ रही 8-डाउन ट्रेन को काकोरी के निकट रोक कर अंग्रेजी सरकार के खजाने पर क्रांतिकारियों ने कब्जा कर लिया। इसके बाद अंग्रेजों ने क्रांतिकारियों को पकड़कर जेल में डाल दिया और सेशन जज हैमिल्टन ने 6 अप्रैल, 1927 को पं० राम प्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी और रोशन सिंह को फांसी, शचीन्द्र नाथ सान्याल को आजीवन कालापानी, मन्मथनाथ गुप्त को 14 वर्ष, जोगेश चन्द्र चटर्जी, मुकुन्दी लाल, गोविन्द चरण, राजकुमार सिन्हा, रामकृष्ण खत्री को 10 वर्ष, विष्णु शरद दुबलिश, सुरेश चन्द्र भट्टाचार्य को 7 वर्ष, भूपेन्द्र नाथ सान्याल, रामदुलारे त्रिवेदी, प्रेम कृष्ण खन्ना, बनवारी लाल, प्रणवेश कुमार चटर्जी और रामनाथ पाण्डे को 5 वर्ष कैद की सजा सुनायी। पूरक मुकद्दमें में अशफाक़ उल्ला खां को फांसी एवं शचीन्द्रनाथ बख्शी को आजीवन कारावास की सजा हुयी। शहीद चन्द्रशेखर आजाद को ब्रिटिश सरकार जीवित गिरफ्तार नहीं कर सकी।
विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने कहा कि कानपुर की धरती ऐतिहासिक पौराणिक व क्रांतिकारी की धरती है। कानपुर में नानाराव साहब, तात्या टोपे, अजीमुल्ला खां तथा अजीजनबाई ने मुख्य भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के स्थलों में से एक कानपुर था, कानपुर का क्रान्ति में अहम योगदान रहा है। कार्यक्रम में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवारिकजनों को अंगवस्त्र व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। जिसमें हरी राम गुप्ता, सत्येन्द्र कुमार सिन्हा, रामकुमार सिंह, जोगिन्द्र सिंह बाजवा, अनिल त्रिपाठी, मृगांक शेखर आनन्द, चन्द्रभान सिंह, शनिराव मोघे, राम दुलारे गुप्ता, सुमन दीक्षित आदि रहे। इस दौरान मेयर प्रमिला पाण्डेय, जिला पंचायत अध्यक्ष स्वप्निल वरुण, विधायक महेश त्रिवेदी, सरोज कुरील, पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार, जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह, मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन, अपर जिलाधिकारी (वि/रा) राजेश कुमार, ज्वाइन्ट मजिस्ट्रेट प्रखर कुमार सिंह आदि मौजूद रहे।