प्रयागराज, 02 सितम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 42 साल बाद पूर्व सैनिक मुरारी लाल को हत्या के आरोप से बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपराध संदेह से परे साबित न होने व गवाहों के बयानों में विरोधाभास के कारण सत्र अदालत द्वारा हत्या का दोषी करार देकर सुनाई गई उम्रकैद की सजा रद्द कर दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति आर.एम.एन. मिश्र की खंडपीठ ने मुरारी के वरिष्ठ अधिवक्ता की दलीलों को सुनकर दिया है। मालूम हो कि 06 जुलाई 1982 को फूल सिंह की हत्या कर दी गई। जब वह अपने गांव वजीरगंज आ रहे थे। उनके भाई शिवदान सिंह ने एफआईआर दर्ज कराई और मुरारी लाल पर दुश्मनी वश गोली चलाकर हत्या करने का आरोप लगाया। सत्र अदालत बदायूं ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। इस समय आरोपी जमानत पर है।
कोर्ट ने कहा कि साइट प्लान दोषपूर्ण है, स्पष्ट नहीं है कि फूलसिंह की हत्या गांव आते समय या गांव जाते समय की गई। एकमात्र चश्मदीद का बयान विश्वसनीय नहीं क्योंकि किसी गवाह ने उसकी बात का समर्थन नहीं किया। पंचायतनामा पर हस्ताक्षर करने वाले ने इंकार किया है कि उसने हस्ताक्षर नहीं किए। किसी ने कहा कि लाश थाने ले गए तो किसी ने कहा थाने में लाश नहीं गई।
अभियोजन पक्ष की तमाम नाकामियों के कारण कोर्ट ने अभियुक्त अपीलार्थी पर हत्या करने के आरोप को संदेहास्पद माना और सजा रद्द कर दी है। कोर्ट ने कहा अभियुक्त जमानत पर हैं, इसलिए समर्पण करने की जरूरत नहीं है। नियमानुसार कार्रवाई करें।