केंद्र सरकार की नई अधिसूचना के मुताबिक अब टोल कलेक्शन के लिए ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS), ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) और ऑन बोर्ड यूनिट्स का इस्तेमाल किया जाएगा.
इनकी मदद से ऑटोमेटिक टोल कलेक्शन किया जाएगा. इसमें 20 किलोमीटर तक की यात्रा के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा. फिलहाल FASTag का इस्तेमाल भी जारी रहेगा.
सरकार ने नये नियमों को सरकारी गजट में भी प्रकाशित कर दिया है. नोटिफिकेशन के मुताबिक, FASTag और ऑटोमैटिक नंबर रिकग्निशन टेक्नोलॉजी (ANPR) का इस्तेमाल भी फिलहाल जारी रहेगा। इसमें कहा गया है कि जीएनएनएस ओबीयू वाले वाहनों के लिए टोल प्लाजा पर एक अलग लेन बनाई जाएगी ताकि उन्हें टोल वसूली के लिए रुकना न पड़े। ऐसे वाहनों को केवल उतनी ही दूरी का टोल देना होगा, जितनी दूरी तक उन्होंने टोल रोड का इस्तेमाल किया है.
सड़क और परिवहन मंत्रालय ने कहा कि जो वाहन भारत में पंजीकृत नहीं हैं और उनके पास जीएनएनएस डिवाइस नहीं है, उनके लिए टोल संग्रह की पुरानी प्रणाली जारी रहेगी। फिलहाल आपको FASTag से पैसे कटवाने या कैश में भुगतान करने के लिए हर टोल प्लाजा पर रुकना पड़ता है।
अब जीपीएस की मदद से तय दूरी तय कर टोल काटा जाएगा. इससे लोगों का समय भी बचेगा. सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी काफी समय से इस व्यवस्था को लाने की कोशिश कर रहे थे.
वाहनों में लगे ओबीयू ट्रैकिंग डिवाइस की तरह काम करेंगे। वे राजमार्ग पर वाहन के निर्देशांक उपग्रह के साथ साझा करेंगे। इसके बाद वाहन द्वारा तय की गई दूरी की गणना की जाएगी।
यह दूरी जीपीएस और जीएनएनएस की मदद से सत्यापित की जाएगी। इसके अलावा हाईवे पर लगे कैमरे वाहन की लोकेशन की पुष्टि करने में भी मदद करेंगे. नई टोल संग्रहण प्रणाली शुरुआत में कुछ राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर लागू की जाएगी।