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हाईकोर्ट ने मंदिर के पुजारी को नहीं दी जमानत

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प्रयागराज, 19 अगस्त (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 वर्षीय लड़के के साथ यौन सम्बंध बनाने के आरोपी पुजारी को जमानत देने से इनकार कर दिया है। पुजारी पर इस वर्ष फरवरी में मंदिर के पास 12 वर्षीय अनाथ बच्चे के साथ अप्राकृतिक यौन सम्बंध बनाने के आरोप में धारा 377 आईपीसी एवं 3/4 पाक्सो एक्ट के तहत थाना आदमपुर, अमरोहा में मामला दर्ज किया गया था।

अपराध की गम्भीरता और पीड़ित के बयानों पर विचार करते हुए कि आरोपी ने कथित कृत्य कैसे किया, जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने आरोपी आवेदक, जमुना गिरी को जमानत देने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, “पीड़ित, जो लगभग 12 वर्ष का नाबालिग है, उसके बयान के अवलोकन से स्पष्ट है कि आवेदक ने ऐसा अपराध किया, जिसने इस न्यायालय की अंतरात्मा को झकझोर दिया। ऐसा कोई कारण नहीं है कि पीड़ित बच्चा आवेदक के खिलाफ इस प्रकार का बयान दे।” कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़ित 12 वर्षीय लड़का है, जो पहले ही अपने माता-पिता को खो चुका है। वह मेला देखने गया था और जब वह वापस नहीं लौटा तो उसके चाचा उसे खोजने गए और उसे रोते हुए पाया।

पूछे जाने पर पीड़ित ने कहा कि आवेदक-आरोपी उसे एक मंदिर के पास ले गया और उसके साथ अप्राकृतिक यौन सम्बंध बनाए। नतीजतन, आरोपी आवेदक को 10 फरवरी, 2024 को गिरफ्तार कर लिया गया।

मामले में जमानत की मांग करते हुए आरोपी ने हाईकोर्ट का रुख किया। जिसमें उसके वकील ने कोर्ट में तर्क प्रस्तुत किया कि गांव की दुश्मनी के कारण उसे वर्तमान मामले में झूठा फंसाया गया। यह भी तर्क दिया गया कि सूचना देने वाला (बच्चे का चाचा) चाहता है कि उसे मंदिर से हटा दिया जाए। इस तरह उसके खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई है। यह भी कहा गया कि चोट की रिपोर्ट में धारा 377 आईपीसी के तहत अपराध का उल्लेख नहीं है और जांच के दौरान कोई बाहरी चोट नहीं पाई गई। इसलिए यह प्रार्थना की गई कि उसे जमानत पर रिहा किया जाए।

दूसरी ओर सरकारी वकील ने जमानत का विरोध किया और कहा कि आवेदक ने गम्भीर अपराध किया है। इस पृष्ठभूमि में आवेदक द्वारा किए गए कथित अपराध की गम्भीरता और पीड़ित के बयान पर विचार करते हुए न्यायालय ने उसे जमानत देने का कोई प्रथम दृष्टया कारण नहीं पाया।