लखीमपुर खीरी, 05 सितंबर (हि.स.)। बायोमेडिकल वेस्ट के सही रखरखाव के दृष्टिगत प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन मेडिकल कॉलेज संबंध जिला चिकित्सालय मोतीपुर ओयल में किया गया। यह प्रशिक्षण जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबन्धन नियमों के अंतर्गत दिया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम सीएमएस डाॅ आरके कोली की अध्यक्षता में हुआ। प्रशिक्षक डॉ विनीत कुमार द्वारा दिया गया।
इस दौरान सीएमएस डाॅ आरके कोली ने बताया कि जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबन्धन नियमों के अंतर्गत किस रंग के कचरे के डिब्बे में कौन सा कचरा डालना है, इस बारे में विस्तार से बताया गया है। पीले डस्टबिन में रोग मुक्त एवं शारीरिक कचरा, शरीर के कटे हुए अंग, प्लेसेंटा, खून की सनी हुई सुई, पट्टियां, माइक्रोबियल, प्रयोगशाला अपशिष्ट, जानवरों के अंग, एक्सपायरी दवाएं आदि डाली जाती हैं। वहीं लाल डस्टबिन में कैथेटर, कनुला, आईवी ट्यूब, प्लास्टिक बोतले, पेशाब की थैली, (सिरिंज बिना सुई की), दस्ताने और संक्रमित प्लास्टिक डाली जाती है।
इसी तरह सफेद डस्टबिन में नुकीली वस्तु में ब्लेड, सूई, स्केल्पेल डाला जाता है। वहीं नील डस्टबिन में कटा हुआ शीशा व धातु अपशिष्ट आदि डाले जाते हैं। इसका उपयोग चिकित्सालयों में अनिवार्य रुप से होना चाहिये। समय समय पर इनके नियमों मे भी थोड़ा बहुत बदलाव डब्लूएचओ की गाइडलाइन के अनुसार किया जाता है। ऐसे में सभी नर्सिग एवं पैरामेडिकल स्टाॅफ को अपटेड करने के लिये शासन के द्वारा ऐसे प्रशिक्षणों का आयोजन किया जाता है। स्वाशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय सम्बद्ध जिला चिकित्सालय खीरी में भी प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है। जिसमें समस्त नर्सिग एवं पैरामेडिकल स्टाॅफ को प्रशिक्षित किया जाना है इसके लिये चार चरणों दो दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है।
पहले दिन सह आचार्य मेडिकल कॉलेज डाॅ जौन जैब रिजवी़ के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। वहीं दूसरे दिन बायो मेडिकल वेस्ट से संबंधित प्रशिक्षण डॉ विनीत कुमार ने दिया है। इस प्रशिक्षण में पहले दिन करीब बीस कर्मचारियों ने भाग लिया है। प्रशिक्षण के दौरान मैट्रन रजनी मसीह, स्टाफ नर्स अंजली देवी, चीफ फार्मासिस्ट अनिल वर्मा फार्मासिस्ट सरिता गुप्ता, पंकज शुक्ला आदि मौजूद रहे।