प्रयागराज, 21 अक्टूबर (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 9 से 13 साल की नाबालिग छात्राओं का यौन शोषण करने के आरोपित सरकारी स्कूल के प्रिंसिंपल को जमानत देने से इन्कार कर दिया है।
यह मामला बुलंदशहर का है। घटना की रिपोर्ट 25 मार्च 2024 को बुलंदशहर के अरनिया थाने में दर्ज की गई थी। न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की पीठ ने याची प्रताप सिंह को जमानत देने के लिए उपयुक्त मामला नहीं पाया। पुलिस ने आइपीसी की विभिन्न धाराओं के साथ साथ एससी-एसटी व पाक्सो अधिनियम में मामला दर्ज किया है। आरोपित है कि याची बच्चों के निजी अंगों को अनुचित तरीके से छूता था और अपने मोबाइल पर अपलोड यौन सामग्री दिखाता था।
याची के वकील ने कहा कि पीड़ितों को राज्य से कोई छात्रवृत्ति नहीं मिली, इसलिए आवेदक को झूठा फंसाया गया है। याची के पूर्व में कैंसर का मरीज होने की भी दलील दी गई। कहा गया कि वह उक्त बीमारी से फिर प्रभावित हो सकता है। यह भी कहा गया कि वह कफ व सांस की बीमारी से ग्रस्त हैं। बच्चों का मेडिकल नहीं है। उसे झूठा फंसाया गया है। अभियुक्त 25 मार्च, 2024 से जेल में बंद है।
राज्य सरकार के वकील ने पीड़ितों की उम्र का हवाला देते हुए कहा कि अपराध गम्भीर प्रकृति का है। साथ ही कहा याची का प्रस्तुत मेडिकल प्रमाणपत्र नकली हैं। इसे बाद में याची ने प्राप्त किया है।