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सेवानिवृत्त शिक्षकों के सम्मान के साथ बीएचयू में मना शिक्षक दिवस

वाराणसी, 05 सितम्बर (हि.स.)। शिक्षक दिवस पर गुरूवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में सेवानिवृत्त शिक्षकों का सम्मान किया गया। परिसर स्थित के उडुपा सभागार में आयोजित समारोह में शैक्षणिक सत्र 2023-24 में अधिवर्षिता प्राप्त शिक्षक सम्मान मिलने के बाद भावुक दिखे।

समारोह में बीएचयू के पूर्व कुलपति, वैज्ञानिक प्रो. राकेश भटनागर ने कहा कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास तथा उन्हें समाज व राष्ट्र की उन्नति में सकारात्मक व सक्रिय योगदान देने वाले ज़िम्मेदार नागरिक के रूप में तैयार करने के उद्देश्यों से महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। अब इस विश्वविद्यालय के शिक्षक इन उद्देश्यों की पूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

प्रो. भटनागर ने कहा कि उन्होंने बतौर कुलपति बीएचयू में देखा है कि विद्यार्थियों की उन्नति में यहां के शिक्षकों की भूमिका सिर्फ कक्षाओं तक ही सीमित नही है। वे मूल्यपरक शिक्षा और आदर्शपूर्ण जीवन जीने के लिए अपने विद्यार्थियों को प्रेरित व प्रोत्साहित करते हैं। ये इस विश्वविद्यालय में प्राप्त दीक्षा ही है जो विद्यार्थियों को भविष्य की चुनौतियोंं के लिए बेहतर रूप से तैयार करती है।

समारोह में अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा कि शिक्षक दिवस का काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के लिए विशिष्ट महत्व है। पहला इसलिए कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का विश्वविद्यालय के साथ लंबा जुड़ाव रहा और दूसरा इसलिए कि भारत में शिक्षा के क्षेत्र में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का योगदान अतुलनीय है। यह दोनों कारण शिक्षक दिवस के अवसर को विश्वविद्यालय के लिए विशेष महत्व का बना देते हैं।

शैक्षणिक संस्थानों की प्रगति में शिक्षकों की भूमिका व योगदान को रेखांकित करते हुए कुलपति प्रो.जैन ने बीएचयू के शिक्षकों का आह्वान किया कि वे अग्रणी भूमिका में आएं तथा विश्वविद्यालय को प्रगति व प्रतिष्ठा के पथ पर ले कर जाएं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की प्रतिभा व क्षमता को प्रक्रियाओं व प्रशासनिक बाधाओं में नहीं बांधा जाना चाहिए, अपितु शिक्षण, अनुसंधान व विद्यार्थी कल्याण के उद्देश्य के लिए उन्हें और सशक्त व समर्थ बनाया जाना चाहिए।

कुलपति ने कहा कि साझा लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए हमें व्यक्तिगत मतभेदों से ऊपर उठना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे मतभेद हमारी अपनी तथा संस्थान की उन्नति में रुकावट न बन जाएं। प्रो. जैन ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में प्रो. राकेश भटनागर के योगदान की सराहना की और कहा कि उन्होंने विश्वविद्यालय में नियुक्तियों को लेकर जिस प्रकार की अनुकरणीय नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया वह अतुलनीय है।