कानपुर, 17 सितम्बर (हि.स.)। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के स्कूल ऑफ एडवांस्ड एग्रीकल्चर साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी के अन्तर्गत परास्नातक उद्यान विज्ञान विभाग के विद्यार्थी कृषि फॉर्म में जैविक खेती के माध्यम से बैंगन व भिंडी (बैंगनी रंग) का उत्पादन कर रहें। स्कूल के निदेशक डॉ. हिमांशु त्रिवेदी ने गुरुवार को बताया कि परास्नातक करने वाले विद्यार्थी शोध कार्यों में पोषक तत्वों से भरपूर एवं स्वास्थ्य के लिए लाभदायक लाल भिंडी एवं बैगन का जैविक विधि के माध्यम से उत्पादन किया जा रहा है। इसके साथ ही साथ विश्वविद्यालय में स्थित पॉलीहाउस में टमाटर एवं शिमला मिर्च पर एवं ओपन फील्ड में ड्रैगनफ्रूट, पपीता, स्ट्रॉबेरी, ग्लेडियोलस तथा रजनीगंधा पर शोध कार्य किए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि परास्नातक सस्य विज्ञान के छात्र-छात्राओं द्वारा फसल अनुसंधान प्रक्षेत्र पर विभिन्न खाद्यान्न फसलें गेंहू, जौ, मक्का, बाजरा एवं दलहन फसलें-मूंग, उर्द, अरहर, मसूर, चना आदि पर, खरपतवार प्रबंधन, पोषक तत्व प्रबंधन एवं नैनो उर्वरकों, उन्नत फसल बुवाई पद्धति और जल एवं सिंचाई प्रबंधन आदि विषयों पर शोध कार्य किए जा रहें हैं। परास्नातक खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के छात्र-छात्राओं के द्वारा विश्वविद्यालय कैंपस में अपने परास्नातक शोध कार्यों में पोस्ट डिलीवरी समस्याओं को कम करने के लिए स्पेशल कूकीज, मिल्लेट्स से बने विभिन्न उत्पाद (लड्डू, कूकीज, ब्रेड आदि) का उत्पादन किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति एवं स्कूल आफ एडवांस्ड एग्रीकल्चर साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी के डीन प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी ने बताया कि आज जितनी आवश्यकता कृषि उत्पादों की है उससे ज्यादा यह आवश्यक है कि यह उत्पादन गुणवत्तायुक्त हो और रसायनों के विनाशकारी प्रभावों से मुक्त हो। इसलिये विश्वविद्यालय के कृषि संकाय के विद्यार्थियों को शोध कार्य में जैविक और प्राकृतिक विधियों से सब्जियों और अन्न के उत्पादन पर शोध के कार्यों पर बल दिया जा रहा है, जो मुख्यतः गौ आधारित कृषि प्रणाली पर आधारित है।