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सर्वजन दवा खाना है फाइलेरिया को भगाना है” नारे के साथ बस्तियों में खिलाई जा रही दवा

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किशनगंज,26अगस्त(हि.स.)। जिले के ठाकुरगंज प्रखंड में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को लेकर एक सशक्त जन जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। “सर्वजन दवा खाना है, फाइलेरिया को भगाना है” जैसे नारों के साथ स्वास्थ्य विभाग और सहयोगी संस्थाएं लोगों को फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक कर रही हैं।

इस अभियान का उद्देश्य है कि सभी स्वस्थ और निर्धारित उम्र के लोग फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कर हाथी पांव जैसी विकराल बीमारियों से खुद को सुरक्षित कर सकें। वही ग्रामीणों के द्वारा कहा कि पहले लोग इस बीमारी के बारे में अनजान थे, परन्तु अब सरकार द्वारा लोगों को जागरूक कर दवा खिलाया जा रहा है। वहीं पीएचसी द्वारा निगरानी की जा रहीं है। ऐसे में लोगों को दवा के साइड इफेक्ट के बारे में घबराने की जरूरत नहीं है। आशा दीदी ने कहा कि दवा में एल्बेंडाजोल और डीइसी की गोली है, जिसे खाने के बाद अगर किसी को थोड़ी देर के लिए सर दर्द, चक्कर, उल्टी, बुखार जैसे लक्षण आएं तो घबराएं नहीं, यह कुछ समय बाद स्वतः ठीक हो जाती है। रैली में आशा कार्यकर्ता व महिला सदस्यों ने भी फाइलेरिया की दवा सेवन कर गांव से फाइलेरिया मुक्त बनाने का संकल्प लिया।सोमवार को सदर अस्पताल परिसर में सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया की ठाकुरगंज प्रखंड में ग्रामीण क्षेत्रो में आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों से दवा खाने का अनुरोध कर रही हैं और उन्हें फाइलेरिया के खतरों से आगाह कर रही हैं।

दवा सेवन के साथ-साथ लोगों को घर के आस-पास सफाई रखने, मच्छरदानी का उपयोग करने और व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दवा का सेवन करना अत्यंत आवश्यक है। फाइलेरिया एक खतरनाक और स्थायी विकलांगता उत्पन्न करने वाली बीमारी है, जिसे समय रहते रोका जा सकता है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम के अनुसार, अगर दवा के सेवन के बाद किसी को सिरदर्द, चक्कर, उल्टी या बुखार जैसे लक्षण दिखें, तो यह इस बात का संकेत है कि शरीर में पहले से फाइलेरिया के परजीवी मौजूद थे, और दवा अपना काम कर रही है। इसलिए, दवा का सेवन करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि इस बीमारी के परजीवी समाप्त हो सकें और भविष्य में गंभीर परिणामों से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि अभियान के तहत, अब तक 2.67 लाख लोगों ने दवा का सेवन कर लिया है, जबकि लक्ष्य 3.06 लाख लोगों को दवा खिलाने का है।