सरसों के तेल के दुष्प्रभाव: भारत के कई राज्यों में रहने वाली एक बड़ी आबादी सरसों के तेल का उपयोग खाना पकाने के तेल के रूप में करती है। खासतौर पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल में खाना पकाने के लिए सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, खाना पकाने के तेल का सीधा संबंध हमारे स्वास्थ्य, खासकर हृदय स्वास्थ्य से है।
तेल में मौजूद वसा के कारण शरीर में अच्छे या बुरे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है। भारत में खाना पकाने के तेल के रूप में उपयोग किया जाने वाला सरसों का तेल अमेरिका, कनाडा और कई यूरोपीय देशों में प्रतिबंधित है। इन देशों का मानना है कि खाना पकाने के तेल के रूप में सरसों के तेल का उपयोग हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। आइए जानें दुनिया भर की रिसर्च इस बारे में क्या कहती है…
खाना पकाने के तेल के रूप में सरसों के तेल का उपयोग करने के फायदे और नुकसान दोनों हो सकते हैं लेकिन यह मात्रा पर निर्भर करता है। खाना पकाने के तेल का सीधा संबंध कोलेस्ट्रॉल से है। रक्त वाहिकाओं में इसके जमा होने से दिल से जुड़ी कई समस्याएं होने लगती हैं।
शोध से पता चलता है कि सरसों का तेल सीमित मात्रा में अच्छा होता है, लेकिन इसका बहुत अधिक सेवन कोलेस्ट्रॉल बढ़ा सकता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनसीबीआई) के मुताबिक, सरसों का तेल दिल के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं माना जाता है। दरअसल, इसकी बहुत अधिक मात्रा आपके दिल को बीमार कर सकती है।
अनुसंधान क्या कहता है?
शोध के अनुसार, सरसों के तेल में मौजूद मोनोअनसैचुरेटेड फैट कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसलिए थोड़ी मात्रा में सरसों का तेल सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। इसके साथ ही सरसों के तेल में इरोसिक एसिड भी होता है। भारत में तैयार होने वाले सरसों के तेल में इसे कम रखा जाता है, लेकिन अमेरिका, कनाडा और यूरोप के देशों में इसकी खपत अच्छी नहीं मानी जाती है।
शोध के मुताबिक, इरूसिक एसिड हृदय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसीलिए उन देशों में सरसों के तेल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। भारत में सरसों का तेल हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है, लेकिन सीमित मात्रा में ही यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।