कुशीनगर,01 अक्टूबर (हि.स.)। वृद्ध जन को अपने जीवन की प्राथमिकता में रखना और उनकी चिंता करना समाज की सबसे बड़ी सेवा है। जीवंतता और सक्रियता वृद्धावस्था को समस्या नहीं बनने देती। उक्त बात दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कही।
वह ‘सफल वयोवृद्धता : मुद्दे और चुनौतिया’ विषय पर बुद्ध स्नातकोत्तर महाविद्यालय कुशीनगर के मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित और आईसीएसएसआर नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थीं।
संगोष्ठी में मुख्य वक्तव्य देते हुए ओ पी जिंदल विश्वविद्यालय में व्यवहार विज्ञान विभाग के संस्थापक निदेशक प्रो.संजीव पी साहनी ने कहा कि वैश्विक दुनिया में वृद्ध योजना निर्माताओं, नीति निर्माताओं और विमर्श के द्वारा अछूते हैं। आज की दुनिया में जहां बच्चे अपने बेहतर भविष्य के लिए अपने घर को छोड़ रहे हैं,यह वृद्धों की चिंता और सेवा की दृष्टि से बड़ी समस्याओं का कारण है। इस कारण हमारे समाज और राज्य का यह दायित्व है कि वह परिवार में वृद्धों की देखभाल के लिए उचित कदम उठाए।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सामुदायिक मनोविज्ञान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो.ए.वी. मदनावत ने कहा कि सक्रियता उम्र नहीं आदत का विषय है। प्रो.जितेंद्र मोहन ने कहा कि वृद्धावस्था खात्मे की अवस्था नहीं है यह भाव जबतक रहेगा तबतक वृद्धावस्था प्रभावी नहीं होगी।
प्रो. एन के सक्सेना,डॉ. देश अग्रवाल, प्रबंध समिति के सचिव वीरेन्द्र सिंह अहलूवालिया ने संगोष्ठी को संबोधित किया। कार्यक्रम की भूमिका पूर्व प्राचार्य प्रो.अमृतांशु शुक्ल ने रखी। मनोविज्ञान विभाग के संस्थापक अध्यक्ष स्वर्गीय डॉ.राघवेंद्र शरण सिंह, पूर्व प्राचार्य स्वर्गीय डॉ.अष्टानंद तिवारी, पूर्व विभागाध्यक्ष स्वर्गीय डॉ. बी के तिवारी के परिजनों को और प्रो.सुषमा पाण्डेय, प्रो.अनुपम नाथ त्रिपाठी, प्रो.सुशील तिवारी, डॉ. दयाशंकर तिवारी, डॉ.प्रशिला सैम, डॉ.सीपी गुप्ता, डॉ.विष्णु कुमार टिबड़ेवाल, डॉ.विद्यावती गुप्त, डॉ.आलोक पाण्डेय, डॉ.वीरेंद्र मणि त्रिपाठी, डॉ.शीला सिंह, प्रो.तुंग, प्रो.आनंद कुमार, प्रो.नवरत्न शर्मा, डॉ.जय प्रकाश पाठक, डॉ.नाजिश बानो, डॉ.रमेश मणि त्रिपाठी आदि को सम्मानित किया गया।