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विद्या वह है, जो हमें बंधनों से मुक्त करे: आनंदीबेन पटेल

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लखनऊ, 18 नवम्बर (हि.स.)। ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को 149 पदक दिये गये। इसमें 61 स्वर्ण पदक दिये गये। इसमें छात्राओं ने जहां कुल 95 पदक प्राप्त किये वहीं छात्रों की संख्या 54 रही। स्वर्ण पदक भी छात्राओं को 39 मिले, जबकि छात्रों को 22 मिले। दीक्षा कार्यक्रम के पश्चात माननीया राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सभी की डिग्रियां को डिजी लॉकर पर अपलोड करने का उद्घाटन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने लड़कियों द्वारा सर्वाधिक मेडल प्राप्त करने पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि विद्या वह है जो हमें बंधनों से मुक्त करे। उन्होंने कहा कि परिश्रम करना हमारा कर्तव्य एवं अवॉर्ड से अधिक महत्वपूर्ण ज्ञान होता है, जो सदैव उपयोगी होता है। इसी वजह से आप पढ़ते रहिए। साथ ही लाइब्रेरी में उपलब्ध पुस्तकों का भी लाभ उठाना चाहिए।

उन्होंने इतिहास पर प्रकाश डालते हुए इस कहा कि विदेश से लोग आए और हमारी तकनीक को अध्ययन कर कई अविष्कार कर अपने नाम कर लिया ।

उन्होंने विश्वविद्यालय से कहा कि अलग अलग भाषाओं में लिखी गई पुस्तकों का अनुवाद होना चाहिए, जिससे हमारे युवा वर्ग को हमारे समृद्ध ज्ञान एवं कौशल से अवगत कराया जा सके। साथ ही पाठ्यक्रमों में भी इस बारे में उल्लेख होना चाहिए कि विद्वानों ने किस तरह ये सब लिखा है। उन्होंने अपने वक्तव्य में ये भी कहा कि उपाधि प्राप्तकर्ताओं के साथ साथ ये प्रदेश एवं देश की भी उपलब्धि हैं, क्योंकि किसी भी देश के विकास कि परिभाषा वहाँ के नागरिकों के शिक्षा के स्तर से आंकी जाती है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दीक्षांत समारोह का अवसर आपके लिए अपनी उपलब्धियों पर गौरवान्वित होने के साथ साथ आप द्वारा भविष्य के लिए निर्धारित किए गए लक्ष्यों पर अग्रसर होने का भी अवसर है। वहीं उन्होंने कहा कि सभी विद्यार्थियों को अपने ज्ञान का अर्जन समाज के हित में लगाना चाहिए।

मुख्य अतिथि सीपेट के महानिदेशक शिशिर सिन्हा (CPET) को डी. लिट की मानद उपाधि एवं मान पत्र राज्यपाल एवं कुलाधिपति द्वारा प्रदान किया गया। शिशिर सिन्हा ने कहा कि विश्वविद्यालय के नवम् दीक्षांत समारोह में प्रतिभाग करना उनके लिए अत्यंत गौरव का विषय है। उन्होंने अपने अभिभाषण में विश्वविद्यालय, शिक्षकों एवं अभिभावक गणों की सराहना करते हुए उन्हें विद्यार्थियों के साथ साथ शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने सभी उपाधि प्राप्तकर्ताओं से अपेक्षा की कि वे विज्ञान और नैतिक मूल्यों को मिश्रित कर अपने जीवन में आत्म सात करेंगें। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सबसे अधिक युवा जनसंख्या है जिसके कारण हमारा देश एक तेज़ी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था की श्रेणी में शुमार हो चुका है। उन्होंने विज्ञान और तकनीक पर ज़ोर देते हुए भविष्य के भारत की कल्पना करने का आह्वान किया। उन्होंने सभी को लर्निंग के साथ साथ अनलर्न के स्किल्स को सीखने की सलाह दी। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में योगेंद्र उपाध्याय, उच्च शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार एवं रजनी तिवारी, राज्य मंत्री, उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई ।

समारोह में स्वागत भाषण देते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेन्द्र बहादुर सिंह ने कहा कि राज्यपाल के मार्गदर्शन से विद्यार्थी चरित्र निर्माण कर रहें हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय उत्तरोत्तर प्रगति कर रहा है। भाषा विश्वविद्यालय के विद्यार्थी समाज के विभिन्न क्षेत्रों में विश्वविद्यालय का नाम रौशन कर रहें हैं। वहीं उनके द्वारा विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या भी प्रस्तुत की गई ।