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विचाराधीन बंदी के इलाज से इनकार नहीं कर सकती सरकार

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प्रयागराज, 16 अक्टूबर (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है हिरासत में लिए गए किसी आरोपित को किसी भी आधार पर राज्य सरकार पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने से किसी भी हाल में इनकार नहीं कर सकती।

न्यायमूर्ति समित गोपाल ने देवरिया निवासी कयूमद्दीन की याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी विचाराधीन बंदी को बीमारी के दौरान देखभाल और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना राज्य की जिम्मेदारी है।

कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब बताया गया कि जेल अधीक्षक द्वारा लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर प्रभावी आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का हवाला देते हुए चिकित्सा सुविधा देने से मना कर दिया गया। अपने आदेश में न्यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को व्यक्तिगत रूप से मामले को देखने और अदालत को अगली तारीख पर अपने हलफनामे के माध्यम से यह सूचित करने का निर्देश दिया कि याची के लिए क्या पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी।

दोनों अधिकारियों को यह बताने का भी निर्देश दिया गया कि किन परिस्थितियों में याची को सर्जरी के लिए मना किया गया और इसके लिए कौन जिम्मेदार था ? कोर्ट ने कहा, यदि सर्जरी की राय दी गई थी तो इसके लिए अधिकारियों की इच्छा पर इंतजार नहीं किया जा सकता था। जेल में बंद याची के 16 अप्रैल, 2024 को किए गए आवेदन पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, देवरिया ने उचित चिकित्सा उपचार के लिए निर्देश दिया था। जेल अधीक्षक ने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता का हवाला देते हुए उसका इलाज कराने से इनकार कर दिया। हालांकि यह भी कहा गया कि आदर्श आचार संहिता हटाए जाने के बाद समुचित उपचार प्रदान किया जाएगा।