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वाल्मीकीय रामायण धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का आधार स्तंभ: सविता ओझा

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पूर्णिया, 17 अक्टूबर (हि.स.)।संस्कृत विभाग पूर्णिया कॉलेज पूर्णिया के तत्वावधान में वाल्मीकि जयंती पर ‘वर्तमान काल में वाल्मीकीय रामायण की प्रासंगिकता’ विषय पर एक विद्वगोष्ठी का आयोजन किया गया। विषय का प्रवर्तन संस्कृत विभाग की विभागाध्यक्ष डॉक्टर सविता ओझा ने किया। उन्होंने कहा कि वाल्मीकीय रामायण धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का आधार स्तंभ है। यह धर्मशास्त्र ,तंत्र शास्त्र,आयुर्वेद ,ज्योतिष, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र आदि विविध ज्ञान का भंडार है।शब्द प्रमाण के रूप में विद्यमान यह आदि काव्य न केवल भारतवर्ष अपितु विदेशी रामकथा का भी उपजीव्य है।

मुख्य अतिथि के रूप में पूर्णिया कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य एवं संस्कृति विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर मिथिलेश मिश्रा ने कहा कि रामायण के 24000 शोक में गायत्री एक अलौकिक शक्ति है। उन्होंने ‘रमन्ते योगिनो यास्मिन् राम:’ की विशद् व्याख्या की। सारस्वत अतिथि के रूप में गृह विज्ञान, पूर्णिया विश्वविद्यालय की विभागाध्यक्ष प्रो. तुहिना विजय ने कहा कि राम भारत की चेतना के मेरुदंड हैं। राम के चरित्र से हमें सीख लेनी चाहिए और जीवन मूल्यों को यदि हम अपने जीवन में उतार ले तो प्रत्येक क्षेत्र में सफल हो सकते हैं। माैके पर कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रोफेसर डॉ. शंभु वर्मा, पूर्णिया कॉलेज शिक्षक संघ के अध्यक्ष एवं अंग्रेजी विभाग के प्राध्यापक डॉक्टर के मिश्रा उपस्थित रहे।