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लव जिहाद के मामले में आरोपित को आजीवन कारावास की सजा

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बरेली, 30 सितंबर (हि.स.)। लव जिहाद के एक मामले में अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम रवि कुमार दिवाकर ने सोमवार को आरोपित को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। आजीवन कारावास की सजा के साथ ही एक लाख रूपए आर्थिक दंड भी लगाया गया है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं ऑपरेशन कनविक्शन के तहत यह ऐतिहासिक फैसला आया है। इस मामले में आरोपी के पिता को भी सजा सुनाई गई है।

अदालत ने मोहम्मद आलिम पुत्र मोहम्मद साबिर उर्फ रफीक अहमद निवासी भैरपुरा जादौपुर, थाना भोजीपुरा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने मोहम्मद आलिम के पिता साबिर उर्फ रफीक अहमद को दो साल की सजा सुनाई है। इस मामले में आईपीसी की धारा 376(2)(n), 323,504,506 के तहत देवरनिया थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था।

दरअसल, पीड़िता बरेली के राजेंद्र नगर में कंप्यूटर कोचिंग पढ़ाने जाती थी, वहीं पर आरोपी युवक मोहम्मद आलिम कंप्यूटर कोचिंग पढ़ने आता था, उसने अपना नाम आनंद बताकर पीड़िता से दोस्ती की। जहां से उसकी मुलाकात हुई और फिर कट्टरपंथी मोहम्मद आलिम ने उसे लव जिहाद का शिकार बना लिया। आरोपी युवक उसे मंदिर में ले गया, जहां उसकी मांग भरकर शादी करने का झांसा दिया। फिर उसे अपने दोस्त के कमरे पर ले जाकर हवस का शिकार बनाया। इतना ही नहीं आरोपी ने उसका अश्लील वीडियो बनाकर उसे धमकाया और फिर कई बार उसे हवस का शिकार बनाया।

पीड़िता जब किसी तरह आरोपी के घर पहुंची तब उसे पता चला जिसे वो आनंद समझ रही थी वो कट्टरपंथी मोहम्मद आलिम निकला। मोहम्मद आलिम के परिवार वालों ने पीड़िता के साथ मारपीट की और धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया। जब पीड़िता गर्भवती हो गई तो उसका जबरन गर्भपात भी करवा दिया गया। इस मामले में छह महीने के अंदर अदालत में अपना फैसला सुनाया है।

अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम रवि कुमार दिवाकर ने अपने आदेश में कहा है कि आदेश की एक प्रति वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बरेली को प्रेषित की जाए ताकि वह जनपद के सभी थानों की पुलिस को सचेत करें। जहां कहीं भी लव जिहाद के माध्यम से अवैध धर्मांतरण का मामला या अन्य प्रकार से अवैध धर्मांतरण का मामला यदि कोई पाया जाए तो अन्य सुसंगत प्रावधानों के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के अंतर्गत कार्रवाई करना सुनिश्चित करें। ताकि उपरोक्त अधिनियम के पारित करने की उत्तर प्रदेश की विधायिका की मंशा के अनुरूप कार्यवाही हो सके। इस निर्णय की एक प्रति पुलिस महानिदेशक पुलिस मुख्यालय लखनऊ, मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश लखनऊ को भी प्रेषित की जाए। उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के अंतर्गत अनुपालन उत्तर प्रदेश में सख्ती से पालन कराया जाएं।