प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर दुनिया को भगवान बुद्ध का शांति का संदेश दिया है. अभिधम्म दिवस के मौके पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह पवित्र दिन हमें करुणा और सद्भावना की याद दिलाता है. इससे हम दुनिया को एक बेहतर जगह बना सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि इससे पहले 2021 में इसी तरह का कार्यक्रम कुशीनगर में हुआ था. मैं भाग्यशाली हूं कि मैंने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया.’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बुद्ध के प्रति भारत की आस्था सिर्फ अपने लिए नहीं है, बल्कि ये पूरी मानवता की सेवा का माध्यम है. उन्होंने कहा कि मैंने यूएन में भी कहा था कि भारत ने दुनिया को बुद्ध दिये हैं. शांति से बड़ा कोई सुख नहीं है. दुनिया अपना समाधान युद्ध में नहीं बल्कि बुद्ध में ढूंढेगी। अब भी मैं पूरी दुनिया को बताता हूं. बुद्ध से सीखो, युद्ध ख़त्म करो।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज हम नव निर्माण के साथ-साथ अपने अतीत को संरक्षित और संरक्षित करने के अभियान में भी जुटे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में हम दुनिया के विभिन्न देशों से 600 से अधिक प्राचीन धरोहरों, कलाकृतियों और अवशेषों को भारत वापस लाये हैं। इनमें से कई अवशेष बौद्ध धर्म से संबंधित हैं, यानी भारत बुद्ध की विरासत के पुनर्जागरण में अपनी संस्कृति और सभ्यता का पुनरुद्धार कर रहा है।
वडनगर बौद्ध धर्म का केंद्र था
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मेरे जन्म से शुरू हुई भगवान बुद्ध के साथ सह-अस्तित्व की यात्रा निरंतर जारी है। मेरा जन्म गुजरात के वडनगर में हुआ था, जो कभी बौद्ध धर्म का एक बड़ा केंद्र था।
उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में मैं भारत के ऐतिहासिक बौद्ध तीर्थस्थलों से लेकर दुनिया के विभिन्न देशों में कई पवित्र कार्यक्रमों में शामिल हुआ हूं, जैसे नेपाल में भगवान बुद्ध की जन्मस्थली का दौरा करना, मंगोलिया में उनकी प्रतिमा का अनावरण करना और श्रीलंका में वेसाक मनाने का अवसर।
शरद पूर्णिमा-वाल्मीकि जयंती की बधाई
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को शरद पूर्णिमा और वाल्मिकी जयंती की भी शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा कि शरद पूर्णिमा पवित्र पर्व है और आज भारतीय चेतना के महान ऋषि वाल्मिकी जी की जयंती भी है। यह अनोखा संयोग है.