वाराणसी, 19 नवम्बर (हि.स.)। काशीपुराधिपति को भी अन्नदान देने वाली मां अन्नपूर्णा का 17 दिवसीय व्रत की शुरुआत गुरुवार से होगी। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि यानि पहले दिन व्रत का संकल्प लेने वाली महिलाएं मंदिर के मंहत शंकर पुरी के हाथों 17 गांठ का धागा लेकर बाएं हाथ पर धारण करेंगी। वहीं, पुरुष श्रद्धालु इस धागे को दाहिने हाथ में पहनेंगे। 17 गांठ का धागा धारण कर श्रद्धालु मां अन्नपूर्णा के 17 दिनों के व्रत को शुरू करेंगे।
मंदिर में ही श्रद्धालु कथा सुनते हैं। महंत शंकर पुरी के अनुसार व्रत के अन्तिम दिन मां अन्नपूर्णा के विग्रह और मंदिर का परम्परनुसार धान की बालियों से श्रृंगार किया जाएगा। मातारानी को नए चावल का भोग लगाया जाएगा। गौरतलब हो कि फसल कटने पर पूर्वांचल के विभिन्न जिलों के किसान अपनी धान की पहली फसल माता के चरणों में अर्पित करते हैं। मान्यता है कि मां के चरणों में धान की बालियां अर्पित करने पर पूरे वर्ष धन धान्य का भंडार भरा रहता है।