महोबा, 03 अक्टूबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के महोबा में 51 शक्ति पीठों में से एक मां चंद्रिका देवी का दिव्य दरबार है। जहां मां चंद्रिका देवी मंदिर ऐतिहासिक मदन सागर सरोवर के पास ताराचंडी सिद्ध पीठ के रूप में स्थित है। 10 फीट से ज्यादा ऊंची 18 भुजाओं वाली मां चंद्रिका के दर्शन मात्र से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं। समूचे बुंदेलखंड समेत दूर दराज से भक्त अपनी मनोकामना लेकर मां के दरबार में पहुँचते हैं।
ऐतिहासिक मदन सागर सरोवर केे पास ताराचंडी सिद्ध पीठ के रूप में मां की 51 शक्तिपीठों में से एक रूप विराजमान है। कालांतर में जिन्हें बड़ी चंद्रिका देवी के नाम से ख्याति मिली है। मां चंद्रिका देवी के मंदिर और मूर्ति की स्थापना 831 ईस्वीं में बुंदेलखंड के तत्कालीन राजा करती चंद्र वर्मन द्वारा कराई गई थी। जहां मंदिर के अंदर मां चंद्रिका की 18 भुजाओं वाली 10 फीट से ज्यादा ऊंची प्रतिमा है।
मंदिर के पुजारी पंडित चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने बताया कि शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ जुटी रही है। भक्तों ने मां की विधि विधान से पूजा अर्चना कर घर परिवार की सुख समृद्धि की मनोकामना की है। भक्तों ने भक्ति भाव से मां को चुनरी, श्रृंगार, प्रसाद आदि अर्पित किए। मां चंद्रिका अपने सभी भक्तों का कल्याण करती हैं।
वहीं इतिहासकारों के अनुसार बुंदेलखंड के चंदेल राजा और मां के अनन्य भक्त वीर आल्हा ऊदल मां चंद्रिका का आशीर्वाद लेकर ही युद्ध मैदान में उतरते थे। मां के आशीर्वाद से अपने दुश्मनों के दांत खट्टे कर विजयश्री हासिल करते थे। मां चंद्रिका को आल्हा ऊदल की कुलदेवी माना जाता है। मान्यता है कि वह आज भी मंदिर में पूजन करने आते हैं। मां शारदा में आल्हा को अमरत्व का वरदान दिया था।
दूर दराज से भक्त पहुँचते हैं माथा टेकने
माना जाता है कि शक्तिपीठों के दर्शन मात्र से ही लोगों के कष्ट दूर हो जाते हैं और उनको मानसिक शांति मिलती है। मां बड़ी चंद्रिका देवी के 51 शक्ति पीठों में से एक होने के कारण यहां मां के दर्शन का महत्व बढ़ जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां चंद्रिका अपने सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करतीं हैं। समूचे बुंदेलखंड समेत दूर-दराज से भक्त यहां मां के दिव्य दरबार में माथा टेकने पहुंचते हैं और अपने परिवार की सुख-समृद्धि समेत विश्व कल्याण की कामना करते हैं।