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प्रिंटिंग युवतियों के लिए बन सकता है आय का स्रोत: डॉ निमिषा अवस्थी

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कानपुर,10 अगस्त(हि.स.)। प्रिंटिंग ऐसी विधा है जो कपड़ों में प्रयोग करके उनको यूनिक व सुंदर बनाया जा सकता है। इस विद्या से महिलाएं एवं युवतियां सीखकर स्वरोजगार करके घर बैठे आमदनी कर सकती हैं। यह बात शनिवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर कानपुर देहात द्वारा आयोजित पांच दिवसीय डाइंग व प्रिंटिंग विधि से वस्त्रो का मूल्य संवर्धन विषय पर प्रशिक्षण के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गृह वैज्ञानिक डॉ निमिषा अवस्थी ने कही।

उन्होंने कहा कि जब हम खरीदारी के लिए जाते हैं, तो क्या यह सच नहीं है कि हम आम तौर पर दो या तीन ड्रेस चुनते हैं और फिर उनमें से सबसे अच्छी ड्रेस चुनते हैं। हालाँकि, जब आपको सादे ड्रेस और प्रिंटेड आउटफिट के बीच चुनाव करना होता है, तो ज्यादातर आप उस ड्रेस को चुनते हैं जिसमें अनोखे प्रिंट होते हैं क्योंकि वे ज़्यादा आकर्षक होते हैं, प्रिंटिंग ऐसी विधा है जो कपड़ो में प्रयोग करके उनको यूनीक व सुंदर बनाया जा सकता है ।

सीएसए के मीडिया प्रभारी डॉ.खलील खान ने बताया कि प्रशिक्षण के प्रथम दिन बांधनी फिर क्रमशः ब्लॉक, बाटिक, स्क्रीन व अंतिम दिन फैब्रिक प्रिंटिंग सिखा गया । अंतिम दिन प्रमाण पत्र देकर कार्यक्रम का समापन किया गया ।

कार्यक्रम में केंद्र के प्रभारी डॉ अजय कुमार सिंह ने प्रमाण पत्र वितरित करते हुए कहा कि महिलाएं इस कला का उपयोग करके न सिर्फ अपने वस्त्र सुंदर बना सकती हैं बल्कि इनका उपयोग करके उत्पाद बना कर बाजार में बेचकर आय भी अर्जित कर सकती हैं।

कार्यक्रम में उपस्थित वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ राजेश राय ने कहा की हाथ से बनी वस्तुओं की बाजार में बहुत मांग है और अच्छी कीमत भी मिलती है| कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में शोध सहायक निकरा श्री शुभम यादव के साथ गौरव शुक्ला का भरपूर सहयोग रहा। प्रशिक्षण में ग्राम फंदा की नीतू, स्वाति, संतोषी, रिंकी, बखरिया से राखी, बबिता व ज्योति से दुर्गा इत्यादि सहित 41 महिलाओं ने प्रतिभाग किया।