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प्रत्येक परिवार में भगवान बुद्ध का एक अनुयायी होना चाहिए: केशव प्रसाद मौर्य

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लखनऊ, 9 नवंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि एक तरफ कई देशों में हिंसा की आग में झुलस रहे हैं। वहीं, हमारे प्रधानमंत्री न केवल शांति का संदेश दे रहे हैं बल्कि उस पर अमल भी कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया ने युद्ध दिया और भारत ने बुद्ध दिया। भगवान बुद्ध के उपदेश शांति का मार्ग अपनाने पर जोर देते हैं, उनके उपदेश आज की तनाव भरी जिंदगी तथा विश्व शांति के लिए और अधिक प्रसांगिक है। उन्होंने कहा कि जहां तथागत के शिष्य होंगे वहां शांति होगी, विपश्यना होगी। उन्होंने कहा, प्रत्येक परिवार में भगवान बुद्ध का एक अनुयायी होना चाहिए। अगर शांति, विकास, रोजगार चाहिए तो बुद्धं शरणं से उत्तम कोई दूसरा मार्ग नहीं है।

श्री मौर्य संस्कृति विभाग उ.प्र. के अधीन अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान और पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 03 दिवसीय इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कॉन्क्लेव के शुभारम्भ के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्व में शांति एवं सद्भाव बढ़ाने के लिए पालि साहित्य अत्यधिक उपयोगी है। इसलिए विश्व शांति एवं सद्भाव बढ़ाने में पालि साहित्य का योगदान विषय पर यह सम्मेलन रखा गया है। इसमें देश-विदेश से लगभग 800 से अधिक बौद्ध भिक्षु तथा विद्वान भाग ले रहे हैं। भगवान बुद्ध ने अपना उपदेश पालि भाषा में दिया। इस भाषा की प्राचीनता एवं महत्ता को देखते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पालि भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देकर इसका सम्मान बढ़ाया है।

इस अवसर पर उपस्थित प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि भगवान बुद्ध ने मानवता, करूणा और प्रेम का जो संदेश दिया है, उसके लिए पालि भाषा को माध्यम बनाया। समय बदलता गया, दिन बदलते गये लेकिन भगवान बुद्ध के मानवता का संदेश पूरी दुनिया में शांति का संदेश दे रहे हैं। पालि भाषा हमारी सांस्कृतिक विरासत है। वैश्विक स्तर पर पालि साहित्य को एकरूपता प्रदान करते हुए भारत में उसे प्रोत्साहित किया जा रहा है। उ0प्र0 सरकार पालि भाषा को जन-जन तक पहुंचाने और लोकप्रिय बनाने के लिए इस पालि साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया है।

श्री पाठक ने यह भी कहा कि भगवान बुद्ध के रास्ते पर चलकर दुनिया में शांति स्थापित की जा सकती है। भगवान बुद्ध ने हमेशा अपने संदेशों में शांति का मार्ग अपनाने पर जोर दिया। उनके बताये हुए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। भगवान बुद्ध से जुड़े महत्वपूर्ण स्थल का प्रचार पूरी दुनिया में किया जा रहा है ताकि विश्वभर के अनुयायी उ0प्र0 की ओर आये। उन्होंने कहा कि पर्यटन एवं संस्कृति विभाग द्वारा इस दिशा में सराहनीय कार्य किया जा रहा है।

बौद्ध विश्वविद्यालय, वियतनाम के कुलपति डॉ. थिच नात तू ने कहा कि पालि भारत की सबसे महत्वपूर्ण शास्त्रीय भाषाओं में से एक है, जो विशेष रूप से थेरवाद बौद्ध धर्म की धार्मिक भाषा के रूप में जानी जाती है। यह एशिया में बौद्ध शिक्षाओं को संरक्षित और प्रसारित करने के लिए एक माध्यम के रूप में उभरी है। भारत सरकार ने इसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है। इसके लिए धन्यवाद ज्ञापित करता हूं।

प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा, कि केंद्र सरकार ने पालि को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है। उसी उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश पहला राज्य है जो पालि भाषा साहित्य सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। विद्वतजन जो चिंतन-मंथन करेंगे, उसे विश्वविद्यालयों में पहुंचाया जाएगा।

कार्यक्रम के प्रथम सत्र की अध्यक्षता चित्रकूट रामभद्राचार्या विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 शिशिर पांडेय एवं दूसरे सत्र की अध्यक्षता नव नालंदा महाविहार के पूर्व कुलपति प्रो0 रामनक्षत्र प्रसाद ने किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में भदंत डा. राहुल बोधि उपस्थित थे। दोनों सत्रों में लगभग 20 लोगों ने शोधपत्र प्रस्तुत किया। सम्मेलन में प्रमुख रूप से हरगोविंद बौद्ध, कार्यकारी अध्यक्ष, अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ, फ्रा भदंत डॉ. चरन सुथी थाईलैंड, भदंत राहुल बोधि, गोविंद नारायण शुक्ला, एमएलसी, रविंद्र कुमार विशेष सचिव संस्कृति विभाग, डॉ. राकेश सिंह निदेशक बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ के अलावा सैकड़ों लोग उपस्थित थे।