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नूरजहाँ गायन, अभिनय और हुस्न का मिश्रण हैं

04 10 2024 Naru Jaha 9411623

ऐसे समय में जब माता-पिता अपनी बेटियों को पढ़ने के लिए नहीं भेजते थे, जो लड़कियाँ स्कूल और कॉलेजों में पढ़ती थीं, उन्होंने उनका बहुत नुकसान किया। उनमें से अनेक उच्च पदस्थ अधिकारी बने, लेखक, गायक, अभिनेता बने अर्थात् किसी न किसी क्षेत्र में ख्याति प्राप्त की। इसीलिए आज उन शख्सियतों को याद किया जाता है, उनमें से एक हैं नूरजहां।

छोटी उम्र में ही स्टेज पर गाना शुरू कर दिया था

नूरजहाँ का जन्म 21 सितंबर, 1926 को कसूर शहर (पाकिस्तान) में अम्मी जान फ़तेह बीबी और अब्बा जान मुथा अली के घर हुआ था। उनके बचपन का नाम अल्लावासई था। उन्होंने छह साल की उम्र में मंचों पर गाना शुरू कर दिया था। उन्होंने उस्ताद फजलदीन और उस्ताद गुलाम मुहम्मद कसूरी से गायन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। 1935 में 10 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार फिल्म ‘मिस्र का सितारा’ में अभिनय किया। उस समय परिवार कलकत्ता में रहता था। बाद में पूरा परिवार लाहौर आ गया। बाल वारेस में थिएटर से जुड़ी नूरजहाँ की आवाज़ भी लोकप्रिय हुई। ऐसे ही अभिनय करते-करते कब वह फिल्मी दुनिया में आ गईं और सबकी चहेती बन गईं, पता ही नहीं चला।

शौकत हुसैन रिज़वी के साथ संवाददाता

जब नूरजहां ने फिल्म ‘खानदान’ में काम किया तो वहां उनकी मुलाकात शौकत हुसैन रिजवी (शौकत हुसैन रिजवी) से हुई। उनके निर्देशन में नूरजहाँ ने कई फिल्मों में काम किया और फिल्मों में साथ काम करते-करते ही दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद नूरजहाँ का ठिकाना भी बदल कर मुंबई हो गया। इस तरह उन्होंने लंबे समय (करीब 50 साल) तक फिल्मों में काम किया और गानों की तो कोई संख्या ही नहीं है।

कई फिल्मों में काम किया

उन्होंने हीर स्याल, गुलाब कली, जुगनू, नकार, दोस्त, अनमोल घरी, दिल हमजोली, मिर्जा-साहिबा, दुपट्टा, गुलजार, लखते जिगर, गालिब, अनारकली, प्रेदेसन, इंतजार, शीला उर्फ ​​विलेज गर्ल, गुल बकौली, जीनत, देखी हैं। चन्न वे, इंतजार, पते खां, मलंगी, दिलन दे सहोदे, चौधरी, यमला जट, गांव की गोरी, लाल हवेली, बड़ी मां आदि फिल्मों में काम किया।

हिट गीत

उनके हिट गाने हैं- शावा जवानियानी मने, लंघ आ’जा पाटन झनन दा ओ यार, आहे ना भरी शिकवे ना किए, बुलबलो मत रो यहां मेरे बच्चा सती मुझे भूल ना जाना, चन्न दया तोत्या, मोहर ले मुहरन चन्ना, तेरे मुखड़े ते काला-काला तिल वे, ‘कल्ली-‘कल्ली जीवन दुख लाखों-करोड़ों वे, माही वे हमें मत भूलो, सुनो क्रिस्टल आंखों वाले, मेरा पत्ता लाल रखना, माही आएगी, वे सोने दिया कंगना आदि आज भी श्रोताओं की भाषा चालू है

इजाज़ हुसैन दुर्रानी के साथ निकाह

नूरजहाँ को बड़े संगीतकारों, निर्देशकों सज्जाद हुसैन, गुलाम हैदर, के. का समर्थन प्राप्त था। दत्ता, नौशाद, फ़िरोज़ निज़ामी, शाम सुंदर, पंडित अमरनाथ, मीर साहब, हाफ़िज़ खान आदि के साथ काम करने का अवसर मिला। 1959 में उनका शौकत हुसैन रिज़वी से तलाक हो गया। फिर उन्होंने अपने से कई साल छोटे अभिनेता एजाज हुसैन दुर्रानी से शादी कर ली।

करीब 6 हजार गाने गाए

कुछ साल अच्छे बीते और आख़िरकार उन्हें दिल की बीमारी ने घेर लिया। उन्होंने करीब 45 फिल्मों में काम किया और करीब 6 हजार गाने गाए।

संसार से संन्यास ले लिया

लंबे समय तक हृदय रोग से पीड़ित रहने के बाद 23 दिसंबर 2000 को 74 वर्ष की आयु में उन्होंने कराची (पाकिस्तान) में अंतिम सांस ली। भले ही वह आज शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके हिंदी-पंजाबी ज़ार गाने उनकी यादों को हमेशा ताज़ा रखते हैं।