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जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के कार्यशाला में नेपाल,बिहार और झारखंड के 150 कार्यकर्ताओं ने लिया हिस्सा

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अररिया,25 सितंबर(हि.स.)। फारबिसगंज तेरापंथ भवन में आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी सुशिष्या साध्वी श्री स्वर्णरेखा जी ठाणा चार की सन्निधि में नेपाल, बिहार और झारखंड स्तरीय एक दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन बुधवार को किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा के तत्वावधान में किया गया, जिसे स्थानीय फारबिसगंज सभा ने संचालित किया।

कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में महासभा के महाअध्यक्ष मनसुख सेठिया, पूर्व अध्यक्ष एवं पंचमंडल सदस्य सुरेश गोयल, उपाध्यक्ष बसंत सुराणा, उपाध्यक्ष विजयराज चोपड़ा और उनकी टीम शामिल हुई। इस आयोजन में नेपाल, बिहार और झारखंड के 34 शहरों से 150 से अधिक पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। कार्यशाला तीन सत्रों में आयोजित की गई। प्रथम सत्र की शुरुआत स्थानीय कन्या मंडल द्वारा महासभा के अध्यक्ष और उनकी टीम का स्वागत मंगल तिलक और स्वागत गीत से की गई।

साध्वी श्री स्वर्णरेखा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि एक सच्चे कार्यकर्ता में केकड़ा वृत्ति नहीं, बल्कि जटायु वृत्ति होनी चाहिए। उसे पदलिप्सा से दूर रहकर संघ की सेवा में हमेशा तत्पर रहना चाहिए। आचार्य श्री महाश्रमण जी ने सफल कार्यकर्ता बनने के लिए आई को वी में बदलने का मंत्र दिया है और अपने जीवन से ईगो को हटाकर लव की लाईट से दुनिया को प्रकाशित करने का आह्वान किया।

महासभा के पदाधिकारियों ने पार्श्व स्तुति के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके बाद फारबिसगंज सभा के अध्यक्ष महेंद्र बैद ने स्वागत वक्तव्य दिया। फारबिसगंज समाज की ओर से स्वागत गीतिका की प्रस्तुति भी दी गई, जिसमें स्थानीय महिला मंडल और कन्या मंडल ने सांची कहूं तोरे आवन से हमारी नगरी में आई बहार गीत प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया।

तेरापंथ युवक परिषद ने कार्यकर्ताओं के गुणों पर एक परिसंवाद प्रस्तुत किया, जिसमें फूलों के माध्यम से बताया गया कि एक सफल कार्यकर्ता में कौन-कौन से गुण होने चाहिए। इस दौरान महामंत्री वीरेंद्र संचेती ने नेपाल-बिहार तेरापंथी सभा के कार्यों की जानकारी दी और महासभा के पूर्व अध्यक्ष सुरेश गोयल ने संघ के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा बनाए रखने का आग्रह किया।

महासभा के अध्यक्ष मनसुख सेठिया ने सभा के करणीय कार्यों पर चर्चा की और संघ निर्देशिका के पठन-पाठन को महत्वपूर्ण बताया, जिससे सभा के सभी नियमों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। कार्यशाला के द्वितीय सत्र में महासभा के संवाहक अनूप बोथरा ने बिहार क्षेत्र में महासभा के कार्यों की जानकारी दी, जबकि नेमचंद ने सभा की नियमावली का वाचन किया। साध्वी श्री स्वर्णरेखा जी के मंगल पाठ से कार्यशाला का समापन हुआ।