कानपुर, 26 सितम्बर (हि.स.)। किसानों की आय बढ़ाने को कृषि विविधीकरण में दलहनी, तिलहनी एवं मोटे अनाजों के उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया जाय। कृषक देश के भविष्य है। यह बात गुरुवार को आईसीएआर : कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी) जोन-3 कानपुर द्वारा उत्तर प्रदेश के 89 कृषि विज्ञान केंद्रों की सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ में तीन दिवसीय 31वीं क्षेत्रीय वार्षिक कार्यशाला के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख ने कही।
उन्होंने कहा कि किसानों को प्रेरित किया जाय कि वह खेती में अधिक से अधिक जैविक खाद का प्रयोग करें। जिससे उर्वरक पर होनी वाली लागत कम होगी साथ ही उनकी आय में वृद्धि होगी। देसी प्रजातियों के संरक्षण एवं मूल्य संवर्धन के लिए भी प्रेरित किया।
इस मौके पर उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष विकास गुप्ता ने कहा कि कृषक देश के भविष्य हैं। अतः प्रदर्शन हेतु बीज व पौध सामग्री के वितरण के बाद आच्छादित क्षेत्रफल पर सफलता की कहानी तैयार कर कृषि विज्ञान केंद्रों में नवोन्मेशी कृषको एवं कृषक महिलाओं के उत्पादों को प्रदर्शित करने हेतु सलाह दी। इस अवसर पर मुख्य अतिथि कृषि राज्य मंत्री अन्य अतिथियों ने विभिन्न क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कृषि विज्ञान केंद्रो एवं कृषक उत्पादक संगठनों के प्रतिनिधियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
नई दिल्ली सहायक महानिदेशक कृषि प्रसार डा.रंजय कुमार सिंह ने कहा कि कार्यशाला में जो तीन दिवसीय मंथन हुआ है निश्चित तौर पर प्रदेश के किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्रों को और डिजिटल बनाने पर जोर दिया। पूर्व उप महानिदेशक प्रसार डॉक्टर पी. दास ने लीड स्पीकर के रूप में अपने शोध पत्र की प्रस्तुति दी। डॉ सुशील कुमार निदेशक भारतीय फसल प्रणाली अनुसंधान संस्थान मेरठ, पूर्व कुलपति कृषि विश्वविद्यालय जम्मू डॉक्टर जीपी शर्मा, ने भी व्याख्यान दिया। आईसीएआर अटारी जोन-3 कानपुर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ राघवेंद्र सिंह ने विस्तार से तीन दिनों की प्रगति प्रतिवेदन को प्रस्तुत किया। प्रदेश के कई कृषक उत्पादक संगठनों के प्रतिनिधियों ने प्राकृतिक खेती तथा मोटे अनाजों के उत्पाद के बारे में बताया। कार्यक्रम के समापन अवसर पर सभी अतिथियों को धन्यवाद निदेशक प्रसार डॉक्टर पीके सिंह ने दिया। इस अवसर पर पूर्व सहायक महानिदेशक रणधीर सिंह, निदेशक प्रसार डॉ एन के वाजपेयी, डॉ सीमा यादव सहित अन्य अधिकारी एवं वैज्ञानिक उपस्थित रहे।