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एससी-एसटी एक्ट के झूठे केस में फंसा कर सरकारी धन की बंदरबांट करने वाले गैंग पर चलेगा केस

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प्रयागराज, 07 अगस्त (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि बार और बेंच न्याय की दो आंखें हैं। किसी को भी न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग की छूट नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा झूठे केस में फंसाकर सरकारी धन की बंदरबांट की अनदेखी नहीं की जा सकती। ऐसे में कोर्ट मूकदर्शक नहीं रह सकती। कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सच उजागर होना चाहिए और काली भेड़ें पकड़ी जानी चाहिए।

हाईकोर्ट में एक केस के शीघ्र निस्तारण की मांग में दाखिल याचिका पर बड़ा खुलासा हुआ कि प्रयागराज में वकालत के बजाय दूसरा धंधा करने वाले कुछ वकीलों का एक गैंग आपरेट कर रहा है, जो महिलाओं को शामिल कर एससी-एसटी एक्ट के तहत झूठे आपराधिक केस में निर्दोष लोगों को फंसाकर चार्जशीट दाखिल होने पर सरकार से पीड़िता को मिली राशि का बंटवारा करता है।

पुलिस विवेचना कर रही थी कि इस खुलासे के बाद सच्चाई पता लगाने के लिए न्यायमूर्ति डॉ. गौतम चौधरी ने सीबीआई को प्रारम्भिक जांच का आदेश दिया। कुछ की एसआईटी जांच भी कराई गई। कोर्ट ने अधिवक्ता भूपेंद्र पांडेय के खिलाफ निक्की देवी द्वारा दारागंज थाने में दर्ज मामले में सीबीआई द्वारा क्लोजर रिपोर्ट दाखिल होने के बाद याचिका अर्थहीन करार दिया है।

दूसरी तरफ सीबीआई ने विशेष अदालत लखनऊ में याची निक्की देवी, अधिवक्ता विनोद शंकर त्रिपाठी व सुधाकर मिश्र के खिलाफ धारा 120बी व धारा 211 भारतीय दंड संहिता के तहत केस चलाने की अर्जी दी। कोर्ट ने इस मामले की जांच कर रही सीबीआई की प्रारम्भिक रिपोर्ट सील कर महानिबंधक के समक्ष रख दिया है और एसआईटी को आठ मामलों की विवेचना करने का आदेश दिया है। आदेश की प्रति आईजी एसआईटी लखनऊ को भेजने को कहा है।

याचिका पर अधिवक्ता शैलेश मिश्र, सीबीआई के अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व विपक्षी भूपेंद्र पांडेय ने बहस की। बाद में खुलासे के साथ तमाम वकीलों ने अर्जियां दी। 51 आपराधिक केसों का खुलासा किया गया। जिसमें से सबसे अधिक मऊआइमा में दर्ज है।

बताया गया कि वकीलों का एक गैंग महिला की मदद से एससी-एसटी एक्ट में झूठी एफआईआर दर्ज कराता है। चार्जशीट दाखिल होने के बाद सरकार से पीड़िता को मिली राशि की बंदरबांट करता है। तमाम लोगों सहित वकीलों को भी झूठे केस में फंसाया गया है। भूपेंद्र पांडेय को दुष्कर्म के झूठे केस में फंसाया गया। आरोपों की गम्भीरता को देखते हुए कोर्ट ने न्याय हित में सीबीआई को प्रारंभिक जांच सौंपी। जिसने गैंग को कटघरे में ला खड़ा किया है।

सीबीआई ने 46 केसों की जांच शुरू की तो पता चला वे 38 केस ही है। सराय इनायत सहित अन्य थानों में दर्ज मामले भी आये। कोर्ट ने 108 पृष्ठ के फैसले में पूरा खुलासा करते हुए कहा कि न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने वाले बचने नहीं चाहिए। फिलहाल एसआईटी आठ केसों की विवेचना करेगी। जिनमें चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, उनमें सम्बंधित जिला जजों से ट्रायल पूरा कराने को कहा गया है।