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इथेनॉल आपूर्ति वर्ष के आगामी सत्र में 20 प्रतिशत ब्लेडिंग प्राप्त करने की उम्मीद : प्रो. सीमा परोहा

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कानपुर, 18 अक्टूबर (हि.स.)। ईंधन में इथेनॉल के प्रयोग को सरकार बढ़ावा दे रही है और इस पर सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। वर्तमान इथेनॉल वर्ष के दौरान अब तक का सबसे अधिक ब्लेडिंग प्रतिशत 15.8 प्राप्त कर लिया गया है। आगामी सत्र में उम्मीद है कि 20 प्रतिशत ब्लेडिंग प्राप्त कर लेंगे। हालांकि, हमें उपलब्धता और अर्थव्यवस्था के अनुसार मल्टिपल फीड स्टॉक का उपयोग करके इथेनॉल संयंत्रों के पूरे वर्ष संचालन पर ध्यान देना होगा। यह बातें शुक्रवार को राष्ट्रीय शर्करा संस्थान की निदेशक प्रो. सीमा परोहा ने कही।

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान कानपुर और भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा संयुक्त रुप से शुक्रवार को राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में ‘भारतीय चीनी गुणवत्ता और बीआईएस मानक’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में बड़ी संख्या में विभिन्न चीनी उत्पादक राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान की निदेशक प्रो. सीमा परोहा ने अपने संबोधन में चीनी मानकों को मानकीकृत करने और अच्छी गुणवत्ता वाली चीनी के उत्पादन के लिए चीनी उद्योग को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया। उन्होंने गन्ना आधारित कच्चे माल यथा-सी एंड बी हैवी मोलासेस, गन्ने का रस/चीनी/शुगर सिरप, चावल, मक्का और अन्य फीड स्टॉक के माध्यम से भी इथेनॉल उत्पादन के लिए विभिन्न बिजनेस मॉडल प्रस्तुत किए।

शर्करा प्रौद्योगिकी के सहायक आचार्य एस.के.त्रिवेदी ने बताया कि भारतीय चीनी जैसे कच्ची चीनी, डेमेरारा चीनी, हल्की सुनहरी और गहरे भूरे रंग की चीनी आदि के लिए बीआईएस मानक हैं और चीनी उद्योग की स्थिरता के लिये, लागत प्रभावी तरीके से अच्छी गुणवत्ता वाली चीनी के उत्पादन पर भी चर्चा की गई। उन्होंने चीनी उत्पादन में विकसित मानकों और बीआईएस नियमों के महत्व पर भी चर्चा की और बताया कि कैसे बीआईएस नियम उपभोक्ताओं के बीच उद्योगों में स्थिरता और विश्वास बनाए रखने में मदद करते हैं।

वैज्ञानिक सुनीति टुटेजा ने खाद्य और कृषि क्षेत्र में राष्ट्रीय मानकीकरण प्रक्रिया पर प्रस्तुति दी। दिशा ज़ंवर ने चीनी उद्योग से संबंधित भारतीय मानकों पर अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. वसुधा केसकर ने चीनी मानक विनिर्देश और उनके महत्व पर अपने विचार साझा किए। वीएसआई पुणे के तकनीकी सलाहकार प्रोफेसर डॉ. आर.वी. दानी ने बीआईएस के अनुसार नामकरण और विशिष्टताओं को बदलकर कच्ची चीनी के सीधे उपभोग के प्रयोजनों के बारे में विस्तार से चर्चा की।