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हरियाणा-पंजाब सीमा पर किसान आंदोलन का उत्साह ठंडा, जानिए इसके पीछे के कारण

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हरियाणा और पंजाब को जोड़ने वाले खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल अपने समर्थकों के साथ लगभग डेढ़ महीने से अनशन पर हैं। हजारों किसान उनके साथ टेंटों में डटे हुए हैं, और 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालने का निर्णय लिया है। हालांकि, हरियाणा में किसान आंदोलन को लेकर उत्साह की कमी देखी जा रही है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि आखिर हरियाणा के किसान पंजाब के साथ आंदोलन में शामिल क्यों नहीं हो रहे हैं। इसी तरह, पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों में भी कोई हलचल नहीं है। करनाल, अंबाला और कुरुक्षेत्र जैसे पंजाब से सटे जिलों में भी आंदोलन को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखाई दे रहा है।

किसान आंदोलन की कमी के कारण

  1. भाजपा सरकार का फिर से चुना जाना:
    हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में हरियाणा में भाजपा सरकार ने पुनः जीत हासिल की है, जिससे किसान नेताओं का उत्साह कम हुआ है।
  2. सरकारी योजनाएं:
    नायब सिंह सैनी की सरकार ने भावांतर भरपाई योजना और 24 फसलों की एमएसपी पर खरीद की योजना लागू की है। इससे किसानों को यह विश्वास है कि उन्हें एमएसपी में कमी का कोई नुकसान नहीं हो रहा है, जिसके चलते आंदोलन के प्रति उनकी उदासीनता बढ़ गई है।
  3. संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा नहीं होना:
    यह भी जानकारी मिल रही है कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन में हरियाणा के किसान संगठनों का कोई सक्रिय योगदान नहीं है। किसान नेताओं के बीच सम्मान की लड़ाई का माहौल भी देखने को मिल रहा है।
  4. सरकार की नीति पर सकारात्मक प्रतिक्रिया:
    कुछ हरियाणा के किसान नेताओं ने राज्य सरकार की नीतियों की प्रशंसा की है, यह कहते हुए कि एमएसपी पर कानून न होते हुए भी सरकार भरपाई की कोशिश कर रही है। उनका मानना है कि यदि सभी राज्य ऐसे कदम उठाएं, तो केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ेगा।

जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन

पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल अनशन तोड़ने को तैयार नहीं हैं और उन्होंने इलाज के लिए भी मना कर दिया है। इस स्थिति में हरियाणा के किसानों के आंदोलन में भाग लेने के रुख को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।