जीवन और मृत्यु भगवान के हाथ में है। किसी की मृत्यु कब, क्यों और कैसे होगी, यह तो भगवान ही जानते हैं, लेकिन हमारे धर्म ग्रंथों में ऐसे कई काम बताए गए हैं, जो हमारी आयु को कम करते हैं। गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित संक्षिप्त गरुड़ पुराण अंक में भी ऐसे कामों का उल्लेख किया गया है, जो मनुष्य की आयु को कम करते हैं। ये काम इस प्रकार हैं-
रात में दही खाना – गरुड़ पुराण के अनुसार रात में दही खाने से मनुष्य की आयु कम होती है। वैसे तो दही खाना शरीर के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन रात में दही का सेवन करने से कई तरह की बीमारियां जैसे पेट के रोग आदि होने की संभावना बढ़ जाती है। आयुर्वेद में भी रात में दही खाने की मनाही की गई है। क्योंकि रात में खाना खाने के बाद हम मेहनत नहीं करते और कुछ देर बाद सो जाते हैं, जिससे खाना ठीक से पच नहीं पाता। पेट में दही के ठीक से न पचने के कई दुष्प्रभाव हैं, जिससे शरीर में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए रात में दही नहीं खाना चाहिए।
मांस का सेवन – मांस खाने से भी मनुष्य की आयु कम होती है। मांस खाने से कई प्रकार के खतरनाक बैक्टीरिया और वायरस का संक्रमण होता है। जब कोई व्यक्ति इस मांस को खाता है तो मांस के साथ बैक्टीरिया और वायरस भी उसके पेट में चले जाते हैं और कई प्रकार की बीमारियों का कारण बनते हैं। प्रकृति ने मनुष्य को मांसाहारी नहीं बनाया है। आपने देखा होगा कि मांसाहारी जीवों के 4 बड़े दांत होते हैं। 2 ऊपर और 2 नीचे… जैसे शेर या चीता… और शाकाहारी जीवों के सभी दांत बराबर होते हैं, जैसे मनुष्य, गाय आदि। मनुष्य का पाचन तंत्र मांस को ठीक से पचाने में सक्षम नहीं होता है। मांसाहारी लोग कई बीमारियों को जन्म देते हैं। ये बीमारियां मनुष्य की आयु कम करती हैं।
सुबह देर से सोना- सुबह देर से सोने से भी मनुष्य की आयु कम होती है। आयुर्वेद की दृष्टि से सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पूरे दिन की अपेक्षा अधिक शुद्ध वायु होती है। ब्रह्म मुहूर्त की वायु को अंदर लेने से शरीर के कई रोग स्वतः ही ठीक हो जाते हैं और श्वसन तंत्र भी स्वस्थ रहता है। देर से सोने पर आप ब्रह्म मुहूर्त की शुद्ध वायु को अंदर नहीं ले पाते और कई तरह की बीमारियां आपको घेर लेती हैं। इसलिए सुबह देर से सोने से मनुष्य की आयु कम होती है।
श्मशान के धुएं के कारण – श्मशान में शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। जैसे ही शरीर मरता है, वह कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस से संक्रमित हो जाता है। न जाने ऐसे कितने शव हर रोज़ श्मशान में लाकर जलाए जाते हैं? जब इन शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है, तो कुछ बैक्टीरिया-वायरस शव के साथ ही नष्ट हो जाते हैं और कुछ धुएं के साथ वातावरण में फैल जाते हैं। जब कोई व्यक्ति उस धुएं के संपर्क में आता है, तो ये बैक्टीरिया वायरस उसके शरीर से चिपक जाते हैं और कई तरह की बीमारियाँ फैलाते हैं। ये बीमारियाँ व्यक्ति की उम्र कम कर सकती हैं।