Friday , May 17 2024

रक्सौल-वीरगंज को रामायण सर्किट से जोड़ने के लिए पीएमओ को भेजा पत्र

पूर्वी चंपारण , 23 अप्रैल(हि.स.)। जिले में रक्सौल और उससे सटे नेपाल के वीरगंज शहर को सीतामढ़ी,जनकपुर वाल्मीकिनगर और अयोध्या की तरह रामायण सर्किट से जोड़ने की मांग को लेकर पीएमओ को पत्र भेजा गया। ताकि इन दो शहर को विश्वस्तरीय धार्मिक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सके।

इस आशय का पत्र रक्सौल निवासी शिक्षाविद प्रो डॉ स्वयंभू शलभ ने पीएमओ को भेजा है। डॉ शलभ ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि पत्र प्राप्ति के बाद पीएमओ के निर्देश पर केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने इसका प्रस्ताव स्वदेश दर्शन डिवीजन व बिहार सरकार के पर्यटन विभाग को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजा है।इस संदर्भ में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के सहायक निदेशक नीरज शरण ने कहा है कि पर्यटन के विकास में राज्य सरकार का भी प्रमुख दायित्व होता है।

डॉ शलभ ने पीएमओ को भेजे पत्र में कहा है कि भारत-नेपाल सीमा पर बसे जुड़वां नगर रक्सौल और वीरगंज का सांस्कृतिक, भौगोलिक और ऐतिहासिक दृष्टि से विशेष महत्व है। ये दोनों नगर रामायण सर्किट से जुड़कर विश्वस्तरीय धार्मिक सांस्कृतिक केंद्र बनें, इस दिशा में केंद्र सरकार द्वारा पहल किये जाने की आवश्यकता है। कहा है,कि नेपाल की आर्थिक राजधानी वीरगंज और भारतीय शहर रक्सौल में उद्योग, व्यापार और पर्यटन की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।

नेपाल के रास्ते विभिन्न देशों से भारत आने वाले पर्यटक सबसे पहले इसी रक्सौल-वीरगंज सीमा पर आकर भारत दर्शन करते हैं। दिल्ली और काठमांडू को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग रक्सौल-वीरगंज सीमा से होकर गुजरता है। नेपाल के मुख्य द्वार पर अवस्थित इन दोनों नगरों को रामायण सर्किट से जोड़कर इस सीमाई क्षेत्र की संभावनाओं को विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने रामायण सर्किट से जोड़ने के मौलिक कारणों पर कहा है,कि माता सीता की जन्म स्थली पुनौरा धाम, सीतामढ़ी (बिहार) रक्सौल से मात्र 80 किमी की दूरी पर स्थित है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद जन आकांक्षा है कि सीतामढ़ी में माता सीता का भी भव्य मंदिर बने। माता सीता का मायका जनकपुरधाम (नेपाल) भी यहां से 160 किमी दूरी पर है।

इस कड़ी में वाल्मीकिनगर स्थित महर्षि वाल्मीकि का आश्रम रक्सौल से 160 किमी की दूरी पर स्थित है। यहीं लव कुश का जन्म हुआ। महर्षि वाल्मिकी ने ”रामायण” की रचना भी यहीं की थी। माता सीता के जीवन में सीतामढ़ी, जनकपुर धाम, वाल्मीकिनगर और अयोध्या इन सभी स्थलों का महत्व है। जिसका सड़क और रेल मार्ग रक्सौल होकर जाती है।