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यूजीसी व भारत सरकार छात्रों के सुधार को बने दिशा निर्देशों का पालन करे सुनिश्चित : हाईकोर्ट

प्रयागराज, 10 मई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और भारत सरकार को यूजीसी द्वारा जारी 12 अप्रैल 2023 के दिशा निर्देशों का प्रसार और कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए हैं। इसमें दोषी छात्रों के सुधार के सम्बंध में प्रावधान शामिल हैं। कोर्ट ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय को 12 अप्रैल 2023 के दिशा निर्देशों और इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णयों के अनुसार 6 महीने के भीतर अनुशासनात्मक जांच का सामना करने वाले छात्रों के लिए सुधार कार्यक्रम तैयार करने का भी निर्देश दिया।

जस्टिस अजय भनोट ने यह आदेश बीएचयू छात्र रौनक मिश्रा की याचिका पर दिया। कोर्ट ने यूजीसी को इन मामलों में विभिन्न विश्वविद्यालयों के सामूहिक अनुभवों की एक लाइब्रेरी बनाने के लिए नियमित कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित करने का निर्देश दिया। यह विश्वविद्यालयों को साझा अनुभवों से लाभ उठाने और अपने कार्यक्रमों को उन्नत करने में सक्षम बनाएगा। यूजीसी दिशा निर्देश 12 अप्रैल 2023 छात्रों के समग्र विकास के लिए प्रदान करते हैं, जिसमें विश्वविद्यालयों को छात्रों के सुधार और आत्म-विकास कार्यक्रम स्थापित करने का निर्देश देकर उन्हें सुधार का अवसर प्रदान करना शामिल है।

अनंत नारायण मिश्र बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, मोहम्मद ग़यास बनाम यूपी राज्य और अन्य, और पीयूष यादव बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन छात्रों के सुधार और पुनर्वास के सम्बंध में बीएचयू और यूजीसी को निर्देश जारी किए थे। जिनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का प्रस्ताव था। यूजीसी को ऐसे सुधार कार्यक्रमों को विकसित करने और लागू करने में विश्वविद्यालयों की सहायता करने का निर्देश दिया गया था। न्यायालय ने आवश्यकता पड़ने पर परिसर में प्रवेश पर प्रतिबंध सहित छात्रों पर प्रतिबंध लगाने के लिए बीएचयू को शक्ति प्रदान की थी, जिसे छात्र के सुधार कार्यक्रम के साथ-साथ शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में भी शामिल किया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के पहले के निर्देशों के अनुपालन के सम्बंध में जस्टिस भनोट ने कहा कि बीएचयू ने सुधार कार्यक्रम को अपने क़ानून में शामिल करने के लिए कदम उठाए हैं और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने पहले ही इसे शामिल कर लिया है। कोर्ट ने कहा कि जो विश्वविद्यालय यूजीसी के अंतर्गत आते हैं। उनका दायित्व है कि वे 12 अप्रैल 2023 के यूजीसी दिशा निर्देशों को लागू करें और यूजीसी को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह देखे कि दिशा निर्देशों को लागू किया जा रहा है और उनका अनुपालन किया जा रहा है। इसके अलावा, न्यायालय ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों के सम्बंध में, ऐसे दिशा निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने की अतिरिक्त जिम्मेदारी भारत सरकार पर भी है।

हाईकोर्ट ने माना कि न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप यूजीसी द्वारा निर्धारित दिशा निर्देश राष्ट्र निर्माण के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं। न्यायालय ने माना कि छात्रों को दी गई सज़ा संस्थागत अनुशासन और छात्र सुधार के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए आनुपातिक होनी चाहिए। याचिकाकर्ता के निलम्बन के सम्बंध में, न्यायालय ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के उल्लंघन के आधार पर निलम्बन आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने यह भी पाया कि रिकॉर्ड में कार्रवाई की प्रकृति और छात्रों की भूमिका का उल्लेख नहीं किया गया था।

अदालत ने पाया कि निलम्बन के दंडात्मक उपाय को उचित ठहराने के लिए कोई गम्भीर परिस्थिति रिकॉर्ड पर नहीं लाई गई है। इस घटना को इस तथ्य के प्रकाश में देखा जाना चाहिए कि युवा छात्र अक्सर युवा उत्साह में बह जाते हैं।