Saturday , January 18 2025

महिला नागा साधु बनने की कठिन यात्रा, नागा साध्वी का जीवन

Mahila 1737113879422 17371138882

प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान मकर संक्रांति के पावन अवसर पर शाही स्नान का आगाज हो चुका है। इस आयोजन में 13 अखाड़ों के नागा साधु और साध्वियां भी शामिल हुईं। लाखों श्रद्धालुओं के बीच, नागा साध्वियों का रहस्यमयी जीवन और उनकी कठिन साधना की यात्रा एक बार फिर चर्चा का विषय बनी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया कितनी कठिन और अद्भुत होती है?

महिला नागा साधु बनने की कठिन यात्रा

महिला नागा साधु बनने के लिए न केवल कठोर तपस्या करनी पड़ती है, बल्कि उन्हें 10 से 15 वर्षों तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि नागा साधु बनने से पहले महिला को जीवित रहते हुए अपना पिंडदान करना पड़ता है। यह प्रक्रिया उनके पुराने जीवन को त्यागने और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक होती है। इसके बाद उनका मुंडन किया जाता है और उन्हें नदी में स्नान कराया जाता है, जिससे वे आध्यात्मिक रूप से पुनर्जन्म प्राप्त करती हैं।

नागा साध्वी का जीवन

महिला नागा साध्वी भी पुरुष नागा साधुओं की तरह भगवान शिव की पूजा करती हैं। उनका जीवन कठोर साधनाओं और ब्रह्मचर्य के नियमों से बंधा होता है। उनके आहार में केवल कंदमूल, फल, जड़ी-बूटियां और पत्ते शामिल होते हैं। वे दिगंबर नहीं होतीं, बल्कि केसरिया वस्त्र पहनती हैं, जो सिले हुए नहीं होते।

मासिक धर्म के दौरान साध्वी क्या करती हैं?

महाकुंभ के दौरान, मासिक धर्म के समय महिला साध्वियां गंगा स्नान नहीं करतीं। इसके बजाय, वे गंगा जल का आचमन करती हैं और अपने ऊपर छींटे छिड़कती हैं, जिससे इसे स्नान के समान पवित्र माना जाता है। नागा साध्वी बनने के लिए केवल कठिन साधना ही नहीं, बल्कि अपने गुरु का विश्वास भी जीतना अनिवार्य होता है। उनकी साधना में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में शिव का जाप और शाम को भगवान दत्तात्रेय की आराधना शामिल होती है। वे समाज से पूरी तरह अलग रहती हैं, और कुंभ जैसे आयोजनों में ही दुनिया को उनके रहस्यमयी जीवन की झलक देखने को मिलती है।