शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने पाकिस्तान के साथ रिश्तों में नई शुरुआत की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। हाल के हफ्तों में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और रक्षा सहयोग में तेजी आई है।
द्विपक्षीय सहयोग को नया आयाम
बांग्लादेश के लेफ्टिनेंट जनरल एसएम कमरुल हसन की पाकिस्तान यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर सहमति बनी। पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने बांग्लादेश को “खोया हुआ भाई” बताते हुए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। डी-8 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री यूनुस और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की मुलाकात ने इस नई दोस्ती को और गहरा किया।
50 साल बाद सीधे समुद्री संपर्क की बहाली
1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के बाद पहली बार बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच समुद्री संपर्क बहाल हुआ है। कराची से एक मालवाहक जहाज चटगांव बंदरगाह पर पहुंचा, जिससे व्यापारिक रिश्तों का नया दौर शुरू हुआ। इसके साथ ही पाकिस्तान के साथ कार्गो निरीक्षण से जुड़े प्रतिबंध भी हटा लिए गए हैं।
देश के भीतर विरोध के स्वर
हालांकि, यूनुस सरकार के इस कदम का बांग्लादेश के भीतर विरोध हो रहा है। हिंदू समुदाय पर बढ़ते हमलों और पाकिस्तान के साथ नजदीकियां बढ़ाने को लेकर कई लोग इसे देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता के लिए खतरनाक मान रहे हैं।
भारत के लिए संभावित चुनौतियां
पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ती नजदीकियां भारत के लिए चिंताजनक हो सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दक्षिण एशिया में राजनीतिक ध्रुवीकरण का संकेत है। पाकिस्तान बांग्लादेश की मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता का लाभ उठाकर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर सकता है।