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प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया

औरैया, 04 अप्रैल (हि. स.)। अछल्दा इलाके के गांव नगला चर्भुज में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में कथावाचक संत आचार्य अंकुर महाराज ने गोवर्धन लीला के साथ भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का प्रसंग सुनाया। श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण के नामकरण और पूतना वध के साथ माखनचोरी की लीलाओं का वर्णन सुनकर मंत्रमुग्ध हो गए।

कथावाचक महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं से जहां कंस के भेजे विभिन्न राक्षसों का संहार किया, वहीं ब्रज के लोगों को आनंद प्रदान किया।

कथा के दौरान भगवान गिरिराज पर्वत को उठाते हुए सुंदर झांकी सजाई गई। इस दौरान भजनों पर श्रद्धालु देर तक नाचते रहे। प्रसंग में बताया गया कि इंद्र को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था। उसका गर्व दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रज मंडल पर भारी बरसात कराई। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सात दिनों के बाद इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ। वहीं भक्तो द्वारा 56 भोग लगाए गए। वहीं लोगों को प्रसाद वितरण किया गया।