नवपंचम योग शुभ योगों में से एक है, जिसे वैदिक ज्योतिष में ग्रह स्थिति की दृष्टि से अत्यंत शुभ एवं विशेष फलदायी माना जाता है। मंगलवार, 4 फरवरी 2025 को ग्रहों के स्वामी बुध और देवगुरु बृहस्पति दोपहर 3.19 बजे से नवपंचम योग बनाएंगे। वैदिक ज्योतिष की गणितीय गणना के अनुसार, यह योग तब होता है जब बुध और बृहस्पति एक दूसरे से अधिकतम 120 डिग्री पर स्थित होते हैं। ज्योतिष के सिद्धांतों के अनुसार यह शुभ एवं शक्तिशाली योग तब घटित होता है जब कोई दो ग्रह नवम (9वें) तथा पंचम (5वें) भाव में हों। आपको बता दें कि कुंडली में 9वें और 5वें भाव को त्रिकोण भाव कहा जाता है, जो भाग्य वृद्धि का कारक माना जाता है।
बुध और बृहस्पति के नवपंचम योग का ज्योतिषीय महत्व
जब बुध और बृहस्पति पंचम और नवम भाव में स्थित होकर नवपंचम योग बनाते हैं तो यह योग बहुत शुभ माना जाता है। बुध और बृहस्पति दोनों ही ज्ञान, बुद्धि और भाग्य के कारक हैं इसलिए इस योग का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर बहुत गहरा पड़ता है। यह योग न सिर्फ व्यक्ति के जीवन में उन्नति और उन्नति लाता है बल्कि भाग्य का भी पूरा सहयोग मिलता है। ज्योतिषियों के अनुसार यह योग जीवन को समृद्ध और सफल बनाने की क्षमता रखता है। इस योग के दौरान जब व्यक्ति सही दिशा में कार्य करता है तो उसे कम प्रयास में ही बड़ी सफलता मिलती है।