Wednesday , January 8 2025

दिल्ली चुनाव: मुख्य चुनाव आयुक्त ने ‘फ्रीबीज’ और आर्थिक स्थिरता पर जताई चिंता

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दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने चुनाव प्रक्रिया, वोटिंग, और वोटर लिस्ट को लेकर उठाए जा रहे सवालों का जवाब दिया। उन्होंने चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित करने का भरोसा जताया। इसके साथ ही, उन्होंने चुनावी वादों और मुफ्त योजनाओं (फ्रीबीज) के बढ़ते चलन पर अपनी चिंता व्यक्त की।

राजीव कुमार ने कहा कि राजनीतिक दलों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनके घोषणा पत्र में किए गए वादों का राज्य की आर्थिक स्थिति पर क्या असर पड़ेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि “आने वाली पीढ़ियों का भविष्य गिरवी नहीं रखा जा सकता।”

फ्रीबीज और हक के बीच की रेखा

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, “फ्रीबीज और हक के बीच एक पतली रेखा है।” उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ‘सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु राज्य’ केस का हवाला देते हुए कहा कि अदालत ने फ्रीबीज पर रोक लगाने की अनुमति नहीं दी है। यह मामला अभी अदालत में विचाराधीन है, इसलिए चुनाव आयोग इस पर सीधे कार्रवाई नहीं कर सकता।

राज्य की आर्थिक स्थिति पर राजनीतिक दलों को देना होगा जवाब

राजीव कुमार ने कहा कि राजनीतिक दलों को अपने घोषणा पत्र में यह बताना चाहिए:

  1. राज्य की आर्थिक स्थिति: जीडीपी/जीएसडीपी और कर्ज का अनुपात।
  2. वादों की लागत: जनता को बताएं कि उनके चुनावी वादों की आर्थिक कीमत कितनी होगी।
  3. वित्तीय योजना: यह स्पष्ट करें कि उनके वादों को पूरा करने के लिए धन कहां से आएगा।

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के लिए एक परफॉर्मा तैयार किया है, जो अब आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। इसमें राज्यों की आर्थिक स्थिति और वादों के संभावित प्रभाव का विवरण देने की प्रक्रिया शामिल है।

राजनीतिक दलों की घोषणाओं से राज्यों की हालत पर असर

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, “कुछ राज्यों की स्थिति इतनी खराब है कि वे कर्मचारियों को वेतन देने में भी असमर्थ हो सकते हैं।” उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि कई राज्यों ने अनियंत्रित घोषणाओं से वित्तीय स्थिरता को खतरे में डाल दिया है।

आर्थिक जवाबदेही की जरूरत

राजीव कुमार ने कहा कि अब समय आ गया है कि राजनीतिक दल अपनी घोषणाओं के लिए आर्थिक जवाबदेही सुनिश्चित करें। उन्होंने जोर देकर कहा, “हम भविष्य की पीढ़ियों का बोझ बढ़ाने का अधिकार नहीं रखते। यह एक गंभीर मुद्दा है, और इसका कानूनी समाधान तलाशने की जरूरत है।”

अदालत के फैसले का इंतजार

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि फ्रीबीज के मुद्दे पर कोई भी कठोर कदम उठाने से पहले अदालत के फैसले का इंतजार किया जाएगा। राजीव कुमार ने कहा कि वर्तमान में आयोग का हाथ बंधा हुआ है, लेकिन इस पर व्यापक विमर्श और सुधारों की जरूरत है।